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रेल फ्रेक्चर के चलते बेपटरी हुई सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस

कानपुर से दिल्ली के बीच 109 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से सरपटर दौड़ रही सियालदह अजमेर एक्सप्रेस ट्रेन ‘रेल फ्रेक्चर’ के कारण हादसे का शिकार हो गई। डेढ़ माह से कम समय में कानपुर के पास...

रेल फ्रेक्चर के चलते बेपटरी हुई सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 29 Dec 2016 12:50 AM
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कानपुर से दिल्ली के बीच 109 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से सरपटर दौड़ रही सियालदह अजमेर एक्सप्रेस ट्रेन ‘रेल फ्रेक्चर’ के कारण हादसे का शिकार हो गई। डेढ़ माह से कम समय में कानपुर के पास पटरी से उतरने के कारण यह दूसरा बड़ा रेल हादसा है।

ट्रेन परिचालन से जुड़े एक एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया सियालदह ट्रेन हादसा रेल फ्रेक्चर के कारण हुआ है। उन्होने बताया कि कानपुर से चलने के बाद ट्रेन में अचानक जर्क लगा जिससे वह बेपटरी हो गई। ट्रेन के एक दर्जन से अधिक डिब्बे पटरी से उतर गए इसमें तीन डिब्बे नहर में गिर गए। उन्होंने बताया कि हादसे में किसी की मृत्यु नहीं हुई और घायलों की संख्या काफी कम रही इसका प्रमुख कारण यह है कि ड्राइवर ने इमजरेंसी बे्रक का सहारा नहीं लिया।

टे्रन को सामान्य प्रक्रिया के तहत ब्रेक लगाकर रोका गया। जिससे पुराने कोच एक दूसरे पर चढ़े नहीं और न ही एक दूसरे के भीतर घुसकर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए। जबकि पटना-इंदौर ट्रेन की रफ्तार भी 110 किलोमीटर प्रति घंटा थी। रेल फ्रेक्चर के कारण ड्राइवर को जर्क लगा और उसने किसी अनहोनी के डर से इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। जिससे 149 रेल यात्रियों की मौत हो गई थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे ने कमाई के चक्कर में एक दशक पहले मालगाड़ियों का एक्सल लोड बढ़ा दिया। लेकिन बुनियादी ढांचा, कोच, वगैन, पटरी, पुल की निगरानी और रख रखाव करने के लिए रेलवे के पास पैसा और स्टाफ दोनों नहीं हैं। ओवर लोड मालगाड़ियां अब रेलवे ट्रैक और यात्रियों की जान पर भारी पड़ रही हैं। रेलवे बोर्ड के सदस्य यातायात ने मोहम्मद जमशेद ने कहा कि हादसे की जांच रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) को सौंप दी गई है। दुर्घटना रेल फ्रेक्चर अथवा कोच में गड़बड़ी से हुई इसका पता जांच के बाद ही चलेगा।

लोक लेखा समिति ने दिसंबर 2011 में संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि रेलवे पैसे और स्टाफ के अभाव में 30,000 वैगनों की समयबद्ध तरीके से मरम्मत नहीं कर पा रहा है। 9748 वैगन पूरी तरह से बीमार हैं, जिनको ट्रैक पर उतरना ठीक नहीं है। समिति ने कहा कि रेलवे 9795 मालगाड़ियों को अवैध तरीके से ब्रेक पावर प्रमाण पत्र देकर दौड़ाया जा रहा है। ट्रैक-पुल की क्षमता बढ़ाने और मरम्मत की फ्रीक्वेंसी बढ़ाकर नुकसान के रोकथाम के दावे किए गए। लेकिन रेलवे बोर्ड ने ऐसा कुछ नहीं किया। मालगाड़ियों के ओवर लोडिंग से रेलवे ट्रैक-पुल कमजोर हो रहे हैं। यह रेल यात्रियों की सुरक्षा-संरक्षा के साथ खिलवाड़ है।

संसद की रेलवे संबंधी स्थायी समिति ने 14 दिसंबर 2016 को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि रेलवे बोर्ड की रेल संरक्षा से समझौता करने की नीति से ट्रेनें पटरियों से उतर कर दुर्घटना ग्रस्त हो रही हैं। यही कारण है कि 2003 से 2015 के दौरान कुल 239 हादसों में से 208 ट्रेनों के पटरी से उतरने (85 प्रतिशत) के कारण हुए। पटरियों के रख-रखाव, मरम्मत, निगरानी व पुरानी पटरियां बदलने में लापरवाही बरत रहा है। समिति ने कहा कि आदर्श स्थिति में 1,14,907 किलोमीटर लंबी पटरियों में से हर साल 5000 किलोमीटर का नवीनीकरण (नई पटरियां बिछाने) किया जाना चाहिए। लेकिन रेलवे बोर्ड ने चालू वित्तीय वर्ष में 2700 किलोमीटर (50 फीसदी से कम) का लक्ष्य रखा है।

रेलवे बोर्ड ने संसदीय समिति को बताया कि कानपुर के पुखराया के पास पटना-इंदौर ट्रेन हादसा रेल फ्रेक्चर अथवा कप्लिंग में खामी के कारण हुआ था। रेलवे अपने सभी पुराने कोच की स्कू्र कप्लिंग को बदलकर सीबीसी तकनीक कप्लिंग लगा रहा है।

 


 

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