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संदूक के ताले ने बचाई हजारों टन बर्फ के नीचे दबे मेजर की जान

जाको राखे साइयां मार सके ना कोए यह कहावत मेजर श्रीहरि कुगजी पर फिट बैठती है। दरअसल पिछले बुधवार को घाटी में कई जगह हुए हिमस्खलन में सेना का कैंप इसकी चपेट में आ गया था। मेजर श्रीहरि कुगजी उस वक्त...

संदूक के ताले ने बचाई हजारों टन बर्फ के नीचे दबे मेजर की जान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 28 Jan 2017 03:58 PM
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जाको राखे साइयां मार सके ना कोए यह कहावत मेजर श्रीहरि कुगजी पर फिट बैठती है। दरअसल पिछले बुधवार को घाटी में कई जगह हुए हिमस्खलन में सेना का कैंप इसकी चपेट में आ गया था। मेजर श्रीहरि कुगजी उस वक्त बैरक में ही थे लेकिन हादसे के बाद बर्फ में फंसे मेजर श्रीहरि के हाथों में एक संदूक ताला आ गया। यही ताला उनके लिए जीवनदायनी बन गया।

बर्फीले तूफान की चपेट में आए कैंप में मेजर श्रीहरि बर्फ की नीचे दब गए जिसकी वजह से वे सांस नहीं ले पा रहे थे। जिंदगी के सबसे कठिन दौर में उन्होंने हार नहीं मानी। खुद को बचाने की कोशिशों में लगे मेजर के हाथ अचानक एक ताला लगा, जिसकी बदौलत उनकी जान बच सकी।

मेजर श्रीहरि कुछ महीने पहले ही जम्मू कश्मीर में तैनात किए गए थे। 26 सैनिकों के साथ जम्मू कश्मीर के गंदरबल जिले के सोनमर्ग में उनका कैंप लगा हुआ था। पिछले कई दि्नों से इलाके में बारिश हो रही थी। इसी बीच हजारों टन बर्फ उनके कैंप पर आ गिरी। मेजर श्रीहरि कुगजी कर्नाटक के बेलागानी जिले के रहने वाले हैं।

बर्फ के नीचे फंसे मेजर श्रीहरि लगातार बाहर निकलने की लड़ाई लड़ रहे थे। जानलेवा परिस्थियों में हार नहीं मानने वाले मेजर के हाथ में संदूक का ताला आ लगा। जिससे मेजर श्रीहरि ने बर्फ को तोड़ना शुरू कर दिया। लगातार प्रयास के चलते वे बर्फ में एक छोटा सा छेद करने में कामयाब रहे।

मेजर श्रीहरि ने बर्फ में हुए उस छोटे से छेद से हाथ बाहर निकाला और हाथ हिलाना शुरू कर दिया। इस बीच बचाव के काम में लगी सेना की टीम की नजर उन पर पड़ी और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

श्मीर में पिछले चार दिनों में हिमपात के बाद हुए हिमस्खलन में 20 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं, जिनमें सेना के 15 जवान शामिल हैं। घाटी में हिमस्खल के भीषण खतरे की चेतावनी जारी की गई है।

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