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5500 Km तक रेंज वाली अग्नि-5 का परीक्षण जल्द, पूरा चीन जद में

जल्द होगा अग्नि-5 का परीक्षण... भारत जल्द ही अपनी बहुप्रतीक्षित इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 का परीक्षण करने जा रहा है। ये मिसाइल 5000 से 5500 किलोमीटर की दूरी तक वार करने म

लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 14 Dec 2016 12:42 PM

जल्द होगा अग्नि-5 का परीक्षण...

भारत जल्द ही अपनी बहुप्रतीक्षित इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 का परीक्षण करने जा रहा है। ये मिसाइल 5000 से 5500 किलोमीटर की दूरी तक वार करने में सक्षम है। ये भारत की पहली भारतीय मिसाइल होगी जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक हमला कर सकेगी। ये टेस्ट करीब दो साल बाद किया जा रहा है। ख़बरों के मुताबिक अग्नि-5 के टेस्ट की तैयारियां आखिरी चरण में हैं और इसका लॉन्च ओडिशा के वीलर आइलैंड से होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस मिसाइल की जद में पूरा चीन होगा। 

कब होगा परीक्षण
एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अग्नि-5 के लॉन्च की तैयारियां आखिरी चरण में हैं और इसी महीने के आखिर में इसका परीक्षण किया जा सकता है। आखिरी बार इसका टेस्ट जनवरी 2015 में किया गया था। पिछली बार कि ही तरह इस भी अग्नि-5 का लॉन्च ओडिशा के वीलर आइलैंड से होगा। न्यूक्लियर वॉरहेड ढोने में सक्षम इस मिसाइल का टेस्ट दिसंबर के आखिर में या जनवरी की शुरुआत में मुमकिन है।

 

बता दें कि इस मिसाइल को एक लॉन्चर ट्रक पर रखे कनस्तर से छोड़ा जा सकता है। सूत्रों ने बताया, 'आखिरी बार किए गए टेस्ट के वक्त अग्नि-5 में कुछ हल्की तकनीकी खामियां नजर आई थीं। इसके बाद, मिसाइल की बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को दुरुस्त किया गया है।'

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चीन के सुदूर इलाकों तक मार करने में सक्षम है अग्नि-5

बता दें कि इससे पहले भी अग्नि-5 का चार बार परीक्षण किया जा चुका है। अग्नि-5 का पहला टेस्ट अप्रैल 2012, दूसरा सितंबर 2013 और तीसरा जनवरी 2015 में हुआ। यह मिसाइल चीन के सुदूर उत्तरी इलाकों को भी निशाना बनाने में सक्षम है। रिपोर्ट के मुताबिक यह अग्नि-5 मिसाइल का फाइनल टेस्ट हेागा।

इस बार इसे फुले रेंज पर टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद ही स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड (SFC) की तरफ से इसका यूजर ट्रायल भी शुरू कर दिया जाएगा। मिसाइल को सेना में शामिल करने के लिए उत्पादन शुरू करने से पहले एसएफसी कम से कम दो टेस्ट करेगी। गौरतलब है कि एसएफसी तीनों सेनाओं का संयुक्त कमांड है, जिसकी स्थापना 2003 में हुई थी। इसका काम भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे की देखरेख करना है।

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ऐसी है अग्नि-5

अग्नि-5 मिसाइल की लंबाई 17.5 मीटर है और इस पर करीब 2500 करोड़ रुपए की लागत आई है। ये मिसाइल 50 टन वजनी परमाणु हथियार चीन के अंदर तक ले जाने में सक्षम है। पहले इसे साल 2015 तक सेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन पिछले परीक्षण में सामने आई तकनीकी खराबियों के चलते इसे टाल दिया गया था। अग्नि मिसाइलें परमाणु हमलों के खिलाफ भारत की प्रतिरोधी क्षमता का अहम हिस्सा हैं। इन मिसाइलों की रेंज 700 किलोमीटर से शुरु होती है और अब अग्नि 5 आने के बाद ये 5500 किलोमीटर तक हो गई है।

जनवरी २015 में किए गए आखिरी टेस्ट की खासियत यह थी कि मिसाइल को एक लॉन्चर ट्रक पर रखे कनस्तर से दागा गया। एक बार अग्नि-5 के सेना में शामिल होते ही भारत आईसीबीएम मिसाइलों (5000-5500 km रेंज) वाले बेहद सीमित देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। इन देशों में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं।

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चीन को कंट्रोल में रखेगी अग्नि-5

इंस्टीट्यूट ऑफ़ नेशनल सेक्युरिटी स्टडीज़ के मुताबिक अग्नि 5 भारत को चीन के खिलाफ वो कवच देगा जो अब तक उसके पास नहीं था। चीन के खिलाफ 1962 के युद्ध में भारत को काफी नुकसान हुआ था। भारत दावा करता रहा है कि चीन की बढ़ती परमाणु क्षमता बड़ी वजह थी कि उसने मई 1998 में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए थे। चीन की अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल और इंडरमीडियेट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता (आईआरबीएम) पर चिंता के कारण ही भारत ने अपने देश में विकसित मिसाइल क्रार्यक्रम को तेजी से बढ़ाया ताकि वो लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें तैयार कर सके।

एसएफसी ने छोटी रेंज के पृथ्वी और धनुष मिसाइलों के अलावा अग्नि-I, अग्नि-II, अग्नि-III मिसाइल को सेना में शामिल किया है। इन मिसाइलों का मुख्य मकसद पाकिस्तान की ओर से किसी भी गलत हरकत का माकूल जवाब देना है। वहीं, अग्नि-IV और अग्नि-V जैसे मिसाइल चीन के खिलाफ रणनीतिक बढ़त हासिल करने में मददगार हैं।

हालांकि, भारत अपनी ओर से रणनीतिक संयम भी दिखाना चाहता है क्योंकि उसकी नजर 48 देशों की सदस्यता वाले न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का हिस्सा बनने पर है। भारत के एनएसजी का सदस्य बनने की राह में चीन ने रोड़ा अटकाया था। हालांकि, भारत को उस वक्त एक बड़ी कामयाबी मिली, जब उसे 34 देशों वाले मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजिम का हिस्सेदार बनाया गया। इसके अलावा, हाल ही में जापान के साथ भारत ने सिविल न्यूक्लियर अग्रीमेंट भी किया है।

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