केजरीवाल को झटका, HC का फैसला, दिल्ली में उपराज्यपाल की ही चलेगी
केंद्र सरकार के साथ अधिकारों की जंग में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में उपराज्यपाल को ही प्रशासनिक प्रमुख बताते हुए कहा...
केंद्र सरकार के साथ अधिकारों की जंग में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में उपराज्यपाल को ही प्रशासनिक प्रमुख बताते हुए कहा कि उनका निर्णय ही सर्वोपरि है।
चीफ जस्टिस जी. रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की पीठ ने 194 पन्नों के फैसले में कहा है कि दिल्ली सरकार को अधिसूचना जारी करने से पहले उपराज्यपाल की अनुमति लेना अनिवार्य है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस दलील को भी ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि उपराज्यपाल मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य है। पीठ ने कहा है कि उपराज्यपाल मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य नहीं है। दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के निर्देश या मंजूरी के बगैर कोई भी नीतिगत आदेश जारी नहीं कर सकती है।
हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 239 का हवाला देते हुए कहा है कि दिल्ली अभी भी केंद्रशासित प्रदेश है, ऐसे में अनुच्छेद 239एए के तहत विशेष प्रावधान होने के बावजूद सारे प्रशासनिक अधिकार उपराज्यपाल के पास मौजूद हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली में सभी प्रशासनिक और नीतिगत फैसले लेने के लिए केजरीवाल सरकार को उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।
पीठ ने यह व्यवस्था देते हुए केजरीवाल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें जुलाई, 2014 और मई 2015 को केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। केंद्र सरकार ने मई 2015 को जारी अधिसूचना में जहां अधिकारियों की नियुक्ति, तबादले, पुलिस, सेवा और भूमि से संबंधित मामलों में उपराज्यपाल के निर्णय को सवार्ेपरि बताया था।
वहीं जुलाई 2014 की अधिसूचना में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को दिल्ली पुलिस व केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ जांच का अधिकार नहीं होने की बात कही थी।
दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी
हाईकोर्ट फैसले के बाद केजरीवाल सरकार की ओर से वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि वह तत्काल इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करेंगे। दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी कहा कि सरकार फैसले का अध्ययन कर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
सरकार हाईकोर्ट गई थी
पिछले साल मई में केंद्र सरकार के निर्देश पर उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा मुकेश कुमार मीणा को एसीबी का प्रमुख बनाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सरकार ने इस बाबत केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की थी। केजरीवाल सरकार ने कहा था कि अधिकारियों का एक बार कैडर तय हो जाने के बाद तबादला करना सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने कहा था कि चूंकि दिल्ली का अपना कोई कैडर नहीं है, इसलिए अधिकारियों का तबादला करना उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में है।