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जस्टिस कर्णन SC में बोले:मुझे काम पर भेजो, वर्ना अगली बार नहीं आऊंगा

अवमानना मामले का सामना कर रहे कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश सी एस कर्णन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए और काम पर वापस भेजने की मांग की, जिसे शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया। संविधान...

जस्टिस कर्णन SC में बोले:मुझे काम पर भेजो, वर्ना अगली बार नहीं आऊंगा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 31 Mar 2017 04:08 PM
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अवमानना मामले का सामना कर रहे कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश सी एस कर्णन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए और काम पर वापस भेजने की मांग की, जिसे शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया। संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन को चार सप्ताह के भीतर इस मामले में लिखित जवाब देने का निर्देश भी दिया। 

व्यक्तिगत तौर पर अब तक पेश नहीं होने के कारण जस्टिस कर्णन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। वह मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली सात-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष पेश हुए और खुद को काम पर वापस भेजने की मांग की।

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न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा, 'मुझे काम पर वापस पर भेजा जाये, वर्ना मैं अगली बार अदालत के समक्ष पेश नहीं होऊंगा। मैं जेल जाने को तैयार हूं।' अदालत में उन्होंने अपना पक्ष स्वयं रखा, लेकिन उनके हावभाव और बहस के अंदाज को लेकर संविधान पीठ ने सवाल खड़े किये। न्यायमूर्ति केहर ने पूछा कि क्या वह मामले की गम्भीरता को समझने के लिए मानसिक तौर पर ठीक हैं। उन्होंने कहा, 'यदि हां, तो आप चिकित्सा प्रमाण पत्र दिखाएं।'

आरोपी न्यायाधीश ने किसी तरह के पश्चाताप से इन्कार करते हुए उन्हें काम पर वापस भेजने का अदालत से अनुरोध किया, लेकिन संविधान पीठ नहीं मानी। इस पर न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि वह जेल भी जाने को तैयार हैं और वह अगली बार से पीठ के समक्ष पेश नहीं होंगे। संविधान पीठ ने 25 मार्च के एक पत्र का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति कर्णन से पूछा कि क्या वह माफीनामा देना चाहते हैं। पीठ ने कहा, 'यदि आप माफीनामा देंगे तो यह मामला अलग दिशा में मुड़ जायेगा, माफी नहीं मांगने पर आपके खिलाफ मुकदमा चलेगा।'

उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वह मौखिक या लिखित में अपना पक्ष रखना चाहते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई मद्रास हाईकोर्ट में जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ है, न कि किसी निजी व्यक्ति के विरुद्ध। न्यायमूर्ति कर्णन को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर कामकाज करने से रोका गया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से कहा, 'यदि आप मुझे शऊर में लाना चाहते हैं तो काम पर वापस भेजिए।'

आरोपी न्यायाधीश ने कहा कि वह यह साबित कर सकते हैं कि उनकी लड़ाई न्यायपालिका के खिलाफ नहीं, भ्रष्टाचार के खिलाफ है। उन्होंने कहा, 'मैं भ्रष्टाचार के आरोप साबित कर सकता हूं। मैं यह भी साबित कर सकता हूं कि किस प्रकार न्यायपालिका में नियुक्तियां जाति के आधार पर होती है। मैं निर्दोष हूं और मैंने कोई गलत काम नहीं किया है।' न्यायालय ने इस मामले में चार सप्ताह के भीतर लिखित जवाब देने को कहा है। 

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