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मुकदमों की बढ़ती संख्या से मामले लंबित होते हैं: जस्टिस ठाकुर

प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने देश में न्यायपालिका के अनुकरणीय प्रदर्शन की शनिवार को सराहना की। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मामलों का लंबित होना मुकदमों की बढ़ती संख्या की वजह से है। उन्होंने जजों...

मुकदमों की बढ़ती संख्या से मामले लंबित होते हैं: जस्टिस ठाकुर
एजेंसीSun, 16 Oct 2016 12:43 AM
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प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने देश में न्यायपालिका के अनुकरणीय प्रदर्शन की शनिवार को सराहना की। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मामलों का लंबित होना मुकदमों की बढ़ती संख्या की वजह से है। उन्होंने जजों की संख्या में इजाफा किए जाने की पैरवी की।

एक जस्टिस ठाकुर ने कहा, मेरा मानना है कि हाईकोर्ट स्तर पर करीब 650 मामले प्रति न्यायाधीश का राष्ट्रीय औसत है। भारत में न्यायाधीशों का प्रदर्शन अनुकरणीय है, जो बहुत-बहुत सराहनीय है। मामलों का लंबित होना इस वजह से नहीं है कि जज काम नहीं कर रहे हैं। हमारे सामने आ रहे मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है। हम अन्य देशों के जजों के मुकाबले ज्यादा फैसले कर रहे हैं।

उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब केंद्रीय विधि मंत्रालय ने कुछ दिन पहले एक नोट में कहा था कि न्यायाधीशों की कमी मामलों के लंबित होने की एकमात्र वजह नहीं है। इसने दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों के ब्योरे का उल्लेख किया था जहां आबादी के हिसाब से न्यायाधीशों की अधिक संख्या होने के बावजूद लंबित मामलों की भरमार है।

 

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