Hindi Newsदेश न्यूज़Amid border violence, Modi visits Jammu and pays tribute to GL Dogra

जम्मू में नरेंद्र मोदी ने अरुण जेटली के बहाने 'दामादवाद' पर साधा निशाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद की राजनीतिक संस्कृति पर आज चुटकी ली और भूमि सौदों के कारण विवाद में आए सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा नाम लिये बिना कहा कि आज हम जानते हैं कि दामादों के...

Admin Fri, 17 July 2015 02:34 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद की राजनीतिक संस्कृति पर आज चुटकी ली और भूमि सौदों के कारण विवाद में आए सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा नाम लिये बिना कहा कि आज हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या क्या बातें होती हैं। उन्होंने छुआछूत की राजनीति को भी अस्वीकार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय विरासतों को इस आधार पर बांटा नहीं जाना चाहिए।

जोरावर सिंह स्टेडियम में आयोजित कांग्रेस के दिग्गज दिवंगत नेता गिरधारी लाल डोगरा शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, दामाद, ससुर के कारण नहीं और ससुर दामाद के कारण नहीं जाने जाते। वरना इतने समय में कभी तो अरुण (वित्त मंत्री अरूण जेटली) जी का मन किया होगा, लेकिन दोनों ने एक दूसरे को इससे अलग रखा। आज तो हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या क्या बातें होती हैं। उल्लेखनीय है कि जेटली गिरधारी लाल के दामाद हैं।

सार्वजनिक जीवन में मर्यादा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने ने कहा कि हम किस दल के हैं, किस विचाराधारा के हैं, इससे सार्वजनिक जीवन नहीं चलता है, राजनीति में छुआछूत नहीं होता बल्कि देश के लिए मरने जीने वालों का सम्मान होता है। हम जो बाद की पीढ़ी के लोग है, उनका दायित्व है कि हम अपनी विरासत को बंटने नहीं दें। इसमें भेदभाव, छुआछूत न करें, सभी महापुरुषों का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि आज के राजनीतिक जीवन के लिए यह संदेश है। किसी भी नेता का शताब्दी वर्ष मनाना ऐसा संदेश है, जो आज नजर नहीं आता है। गिरधारी लाल जी ने जीवन में पल पल मर्यादाओं का पालन किया।

परिवारवाद पर चोट करते हुए मोदी ने कहा कि मैंने राजनीति से जुड़ी उनकी (गिरधारी लाल) जितनी तस्वीर देखी है, उसमें उनके परिवार का एक भी व्यक्ति नजर नहीं आया। इतने लम्बे समय तक सार्वजनिक जीवन और सत्ता के गलियारे में रहने तथा देश के शुरुआती सभी प्रधानमंत्रियों से निकट संबंध होने के बाद भी एक भी तस्वीर में परिवार का कोई सदस्य नजर नहीं आया। सिर्फ अंत्येष्टि की तस्वीर में परिवार के सदस्य थे।

मोदी ने कहा कि गिरधारी लाल सार्वजनिक जीवन में देशभक्ति की प्रेरणा से आए थे, तब आये थे जब लेना, पाना, बनना कोई मायने नहीं रखता था। छुआछूत की राजनीति पर प्रहार जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डोगरा साहब को व्यक्तियों की परख बहुत थी। इसलिए उन्होंने गुलाम नबी आजाद (अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता) को तब कांग्रेस युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया था। इसका उदाहरण है, उन्होंने जो दामाद चुने, वरना अरुण जी (जेटली) के विचार और उनके विचार में कोई मेल नहीं था। उन्होंने कहा कि गिरधारी लाल जम्मू कश्मीर के कद्दावर नेता थे जिन्होंने वहां के वित्त मंत्री के रूप में 26 बार बजट पेश किया। ऐसा मौका उस व्यक्ति को ही मिलता है, जिसका राजनीतिक जीवन सभी के समक्ष स्वीकृत और पारदर्शी हो।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आज दो या तीन पीढियां ऐसी होंगी जो यह कहती हैं कि उन्हें गिरधारी लाल जी का अंगुली पकड़कर चलने का मौका मिला। उन्होंने कार्यकर्ताओं की ऐसी परंपरा तैयार की जो आगे चलकर स्वच्छ राजनीति के पथ पर आगे बढ़े। समारोह में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह, गुलाम नबी आजाद आदि मौजूद थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आमतौर पर बहुत कम राजनीतिक ऐसे होते हैं जो मरने के बाद भी जीवित रहते हैं । कुछ ही समय में भुला दिये जाते हैं। लोग भी उन्हें भूल जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे अपवाद होते हैं जो अपने कार्यकाल में जैसा काम करते हैं, जिस प्रकार का जीवन जीते हैं, उसके कारण मृत्यु के काफी काल बाद भी लोगों के जेहन में बने रहते हैं, गिरधारी लाल जी ऐसे ही नेता थे।

इस अवसर पर कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं के साथ मंच साझा करने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अंतर्विरोध लोकतंत्र की सुंदरता हैं। उन्होंने कहा, हम (आजाद सहित) अभी यहां बैठे हैं, लेकिन कुछ दिन बाद मुकाबला होने का इंतेजार कीजिए। उनका इशारा 21 जुलाई से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र से था, जहां भूमि अधिग्रहण सहित कई मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बनाए हुए है।

राजनीति में छुआछूत नहीं होने पर जोर देते हुए उन्होंने याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही दिन बाद केरल के एक वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता का देहांत हो गया। उनके भाजपा के कटु आलोचक होने के बावजूद वाजपेयी ने लालकृष्ण आडवाणी को उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भेजा।

इस समारोह में आने के औचित्य पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि एक प्रधानमंत्री को इस समारोह में इसलिए आना चाहिए क्योंकि गिरधारी लालजी ने अपना जीवन देश के लिए खपाया है। उनकी सार्वजनिक जीवन में स्वीकृति और स्वीकार्यता थी।

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