भारत के पहले स्पेस शटल RLV-TD की 10 खास बातें
इसरो ने सोमवार सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पहली बार स्वदेशी दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाला प्रक्षेपण यान (आरएलवी-टीडी) प्रक्षेपित किया। इसे भारत का अपना अंतरिक्ष यान बताया...
इसरो ने सोमवार सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पहली बार स्वदेशी दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाला प्रक्षेपण यान (आरएलवी-टीडी) प्रक्षेपित किया। इसे भारत का अपना अंतरिक्ष यान बताया जा रहा है।
यान के बारे में 10 खास बातें:
1- आरएलवी-टीडी का मुख्य लक्ष्य पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह पहुंचाना और फिर वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करना है, यान को एक ठोस रॉकेट मोटर से ले जाया जाता है।
2- इस स्पेस शटल की लंबाई 6.5 मीटर और वजन 1.75 टन है।
3- अमेरिकी अंतरिक्ष यान की तरह दिखने वाले डबल डेल्टा पंखों वाले यान को एक स्केल मॉडल के रूप में प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो अपने अंतिम संस्करण से करीब छह गुना छोटा है।
4- हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग के तौर पर जाने जाने वाले अभियान के प्रक्षेपण से लेकर उतरने तक में करीब दस मिनट लगने की संभावना है।
5- आरएलवी-टीडी को दोबारा प्रयोग में लाए जा सकने वाले रॉकेट के विकास की दिशा में एक बहुत प्रारंभिक कदम बताया जा रहा है। इसके अंतिम संस्करण के निर्माण में दस से 15 साल लगने की संभावना है।
6- अमेरिकी अंतरिक्ष यानों के रनवे की तरह श्रीहरिकोटा में एक रनवे बनाया जाएगा। जब यह यान अपने अंतिम चरण में पहुंच जाएगा, तब यह श्रीहरिकोटा में जमीन पर वापस आएगा।
7- परीक्षण के पहले चरण में यह समुद्र की सतह से टकराने के बाद टूट जाएगा। अभी इसे तैरने लायक नहीं बनाया गया है।
8- इस यान के सफल होने पर इसे ‘कलामयान’ नाम दिया जाएगा।
9- इसरो ने पहली बार पंखों वाले उड़ान यान का प्रक्षेपण किया है। सरकार ने आरएलवी-टीडी परियोजना में 95 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
10- अगर दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट वास्तविकता का रूप ले लें तो अंतरिक्ष तक पहुंच का खर्च दस गुना कम हो सकता है।