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विभु को मिला अनोखा सबक 

‘बस अब पिटाई हुई समझो...।’ घर में घुसते ही विभु के दिमाग में पहला ख्याल यही आया था। इसीलिए उसने फौरन अपनी किताबें उठाईं और अपने कमरे में जाकर पढ़ने बैठ गया। पढ़ते हुए भी उसके दिमाग...

विभु को मिला अनोखा सबक 
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Jun 2016 01:08 PM
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‘बस अब पिटाई हुई समझो...।’
घर में घुसते ही विभु के दिमाग में पहला ख्याल यही आया था। इसीलिए उसने फौरन अपनी किताबें उठाईं और अपने कमरे में जाकर पढ़ने बैठ गया। पढ़ते हुए भी उसके दिमाग में लगातार यही खटका लगा हुआ था कि पता 
नहीं कब पापा की आवाज आ जाए और फिर... उसकी खैर नहीं।
 

सातवीं क्लास में पढ़ने वाला विभु अपने मम्मी-पापा का इकलौता बेटा था। बेहद लाडला और सबकी आंखों का तारा। वह जो भी मांगता, उसे तुरंत दे दिया जाता। उसकी हर इच्छा फौरन पूरी की जाती। मम्मी-पापा उसे बहुत प्यार करते थे और उसे हमेशा यही समझाते थे कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, अपने माता-पिता से कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए और अगर कभी कोई गलती हो जाए, तो उसे मान लेना चाहिए। पापा तो उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त कहा करते थे।
 

विभु भी उनकी हर बात मानता था। मगर इधर कुछ समय से विभु अपने मम्मी-पापा से कुछ बातें छुपाने लगा था। स्कूल में उसे जो होमवर्क मिलता, उसे वह डायरी में अधूरा लिखता, ताकि घर जाकर उसे ज्यादा काम न करना पड़े। यूनिट टेस्ट में कम नंबर आए तो उसने घर पर बताए ही नहीं और कहा कि मैडम ने नंबर ही नहीं बताए। अपना लंच भी वह पूरा खत्म नहीं करता, बल्कि थोड़ा खाकर बाकी इधर-उधर फेंक देता और मम्मी से कह देता कि मैंने पूरा खाना खा लिया। लेकिन उसकी ये चालें भला कितने दिन चलतीं। स्कूल में पेरेंट्स और टीचर्स की मीटिंग हुई तो मम्मी-पापा को सब पता चल गया। मैडम ने उसके सामने ही सारा सच उसके मम्मी-पापा को बता दिया था, इसीलिए विभु आज काफी डरा-सहमा हुआ था कि अब तो पिटाई पक्की समझो। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
   

 दोपहर होने को आ रही थी कि तभी उसके कानों में मम्मी की आवाज गूंजी,‘विभु, आकर लंच कर लो।’ डाइनिंग टेबल पर विभु को यह देख कर हैरानी हुई कि मम्मी ने उसकी पसंद की सब्जी-बैंगन का भर्ता बनाया है और साथ में उसकी पसंदीदा मैंगो लस्सी भी। उसे तब और ज्यादा हैरानी हुई जब मम्मी-पापा ने उससे स्कूल या पढ़ाई के बारे में कुछ भी बात नहीं की। लेकिन एक बात उसे अखरी कि मम्मी ने तो उससे फिर भी इधर-उधर की कुछ बातें कीं, मगर पापा ने उसकी तरफ देखा भी नहीं और चुपचाप खाना खाकर अपने कमरे में जाकर कंप्यूटर पर काम करने लगे। विभु ने भी खाना खत्म किया और कुछ देर पढ़ने के बाद सो गया।  
   

 शाम को जब वह ड्रॉइंगरूम में पहुंचा तो देखा कि मम्मी-पापा दोनों तैयार बैठे हैं। ‘आप दोनों कहीं जा रहे हैं क्या?’ ‘सिर्फ हम दोनों नहीं, बल्कि तुम भी हमारे साथ बाहर डिनर के लिए चल रहे हो। चलो जल्दी से तैयार हो जाओ। तुम्हारे लिए नए स्केट्स भी तो लेने हैं। उसके बाद पिज्जा खाने चलेंगे।’ मम्मी का जवाब सुन कर विभु की हैरानी और बढ़ गई। ‘यह हो क्या रहा है। कहां तो मैं सुबह से पिटाई के डर से इनके सामने नहीं आ रहा हूं और कहां ये दोनों मेरी ख्वाहिशें बिना कहे पूरी किए जा रहे हैं,’ विभु अब सोच में पड़ चुका था। मॉल पहुंच कर विभु की पसंद के स्केट्स खरीदने के बाद सभी ने फूड-कोर्ट में पिज्जा खाया। विभु की यह शाम बहुत अच्छी बीती थी, लेकिन उसे अब यह सब अखरने लगा था। 
   

असल में मम्मी उससे खुल कर नहीं बोल रही थीं और पापा ने तो सुबह से उससे बिल्कुल ही बात नहीं की थी। कार में पीछे बैठे हुए उसे मम्मी-पापा की कही सारी बातें एक-एक कर याद आने लगीं। वे उससे अक्सर कहते कि पढ़ाई के साथ-साथ बाकी चीजों में आगे रहना चाहिए। वे उसे कभी मस्ती करने और खेलने से भी रोकते नहीं थे। उनका कहना था कि खेलोगे तो शरीर स्वस्थ रहेगा और खूब भूख भी लगेगी। 
   

उसे यह भी याद आया कि मम्मी-पापा उससे सिर्फ यही चाहते हैं कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे और कभी भी उनसे कोई बात न छुपाए। उसे अपने पापा की एक और अच्छी बात भी याद आई कि कैसे वह चुन-चुन कर विभु को अच्छी-अच्छी फिल्में दिखाते हैं और कहते हैं कि इंसान चाहे तो फिल्मों से भी बहुत कुछ सीख सकता है। पिछले ही दिनों उन्होंने विभु को ‘निल बटे सन्नाटा’ दिखाई थी जिसमें घरों में काम करने वाली एक बाई की बेटी अपनी लगन और मेहनत से आईएएस अफसर बन जाती है। विभु को याद आया कि  फिल्म में दिखाई गई उस लड़की के पास कोई सुख-सुविधाएं नहीं थीं। यहां तक कि उसके पास तो उसके पापा भी नहीं थे।
 

विभु को अब काफी बुरा लगने लगा था कि उसके मम्मी-पापा परिवार को चलाने के लिए और उसे तमाम सुख-सुविधाएं देने के लिए इतनी मेहनत से काम करते हैं और एक वह है कि उन्हीं से बातें छुपाने लगा। विभु अब अपने किए पर सचमुच शर्मिंदा था। उसे खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि उसने ऐसा क्यों किया?
 

 वापस आने के बाद घर में घुसते ही वह पापा से लिपट कर रोने लगा। ‘अरे क्या हुआ दोस्त...?’ पापा उसे हमेशा ऐसे ही बुलाते थे। पर विभु कुछ नहीं बोला और उनसे लिपट कर बस रोता रहा। पापा ने भी उससे कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद जब उसका मन हल्का हुआ तो उसने देखा कि पापा और मम्मी की आंखों में भी आंसू हैं। 
   

 ‘पापा, आज के बाद आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी...’, भरभराई आवाज में विभु ने उनसे माफी 
मांगी और वादा किया कि अब वह खूब दिल लगा कर पढ़ाई करेगा, उनसे कभी कुछ नहीं छुपाएगा और 
अपनी सारी बातें उनसे शेयर किया करेगा। उसे सबक मिल चुका था कि मम्मी-पापा उसके सबसे अच्छे दोस्त हैं, जो सिर्फ उसका भला चाहते हैं और वह भी बिना उसे कोई सजा दिए।

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