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कुत्तों को कंबल

एक बार बहुत सर्दी पड़ी। राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री से कहा, ‘‘राज्य के गरीबों में एक-एक कंबल बांट दो।’’ मंत्री ने मुनादी करा दी। गरीबों की लाइन लग गई। मंत्री कंबल बांटने लगा।...

कुत्तों को कंबल
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 20 Apr 2016 06:58 PM
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एक बार बहुत सर्दी पड़ी। राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री से कहा, ‘‘राज्य के गरीबों में एक-एक कंबल बांट दो।’’
मंत्री ने मुनादी करा दी। गरीबों की लाइन लग गई। मंत्री कंबल बांटने लगा। तभी कंबल लेकर भिखारी बोला, ‘‘यह गरीब कुत्ता भी इसी राज्य में रहता है। इसे भी कंबल दीजिए।’’ मंत्री बिगड़ गया। पास में तेनालीराम खड़ा था। वह हंसकर बोला, ‘‘राजा ने कुत्ते और इनसान में फर्क नहीं किया है।’’
मंत्री ने कुत्ते का भी कंबल दे दिया। फिर राजा के पास जाकर सारी बात बताई। बोला, ‘‘महाराज, कल से कंबल बांटने का काम तेनालीराम को ही सौंप दीजिए।’’
अगले दिन तेनालीराम कंबल बांटने को तैयार हुआ, तो परेशान हो गया। लाइन में खड़े हर व्यक्ति के साथ एक-एक कुत्ता था। मंत्री भी वहीं था। मन ही मन प्रसन्न हो रहा था कि देखें तेनालीराम क्या करता है?
तभी तेनालीराम ने नौकर से कुछ कहा। नौकर अंदर गया। लौटा तो बगल में दो बिल्लियां थीं। बाहर आते ही उसने उन्हें छोड़ दिया।
सारे कुत्ते भौंकते हुए उनके पीछे भागे। 
तेनालीराम चिल्लाया, ‘‘राजा की बिल्लियों को बचाओ। इन पर हमला करने वाले कुत्तों के साथ इनके मालिकों को भी बंदी बना लो।’’
कुत्ते साथ लाने वाले सकपका गए। बोले, ‘‘ये कुत्ते हमारे नहीं हैं। मंत्री जी ने हमें दिए थे।’’
यह सुनकर मंत्री की गरदन शर्म से झुक गई। तेनालीराम ने गरीबों को कंबल बंटवा दिए। राजा ने सुना, तो उसकी चतुराई पर खूब हंसे।

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