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मिथिला राज्य से ही मिथिलांचल का विकास संभव

मिथिलांचल का विकास बिना मिथिला राज्य के संभव नहीं है। मिथिला क्षेत्र से वसूले गए टैक्स का रुपया दूसरे क्षेत्रों के विकास में लगाया जाता है और यह क्षेत्र लगातार उपेक्षा का शिकार रहा है। कामेश्वर सिंह...

मिथिला राज्य से ही मिथिलांचल का विकास संभव
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 09 Nov 2016 04:36 PM
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मिथिलांचल का विकास बिना मिथिला राज्य के संभव नहीं है। मिथिला क्षेत्र से वसूले गए टैक्स का रुपया दूसरे क्षेत्रों के विकास में लगाया जाता है और यह क्षेत्र लगातार उपेक्षा का शिकार रहा है। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के मनोरंजन गृह में मिथिला राज्य निर्माण सेना का आयोजित अधिवेशन के दूसरे दिन बुधवार को उद्घाटन करने के बाद वयोवृद्ध मैथिली साहित्यकार प्रदीप ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि मिथिला राज्य के लिए आंदोलन लंबे अरसे से चलता रहा है लेकिन अब युवा युवाओं की भागीदारी देखकर लगता है कि मंजिल करीब है।

सेना के महासचिव राजेश कुमार झा ने कहा कि जन जागरण कार्यक्रम चल रहा है। लोगों का समर्थन मिल रहा है। युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है। बुजुर्गों का आशीर्वाद भी मिल रहा है। ऐसे में मंजिल पाना नामुमकिन नहीं है । डॉ. रंगनाथ ठाकुर ने कहा कि प्रतीत होता है कि मिथिला का भूभाग बिहार में नहीं है। योजनाओं का लाभ मिथिला क्षेत्र को नहीं मिल रहा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय, ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस, आईआईटी सहित कई संस्थान दक्षिण बिहार में स्थापित हो चुके हैं। प्रदेश और केंद्र सरकार की नजर में मिथलांचल में इसकी कोई जरूरत नहीं महसूस की जा रही है। ऐसी परिस्थिति में मिथिला राज्य बनने के बाद ही इस क्षेत्र को अपना हिस्सा मिल सकेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता श्याम सुंदर झा ने की। इससे पहले मांग के समर्थन में श्यामा माई मंदिर परिसर से कार्यकर्ताओं ने बाइक रैली निकाली, जो लहेरियासराय स्थित प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय तक गई और शहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर वापस आयी। रैली में शामिल लोग नारा लगा रहे थे, 'एकमात्र संकल्प ध्यान में, मिथिला राज्य संविधान मे '।

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