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उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री को तोप से उड़ाया गया

उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोन उंग के बेहद करीबी माने जाने वाले देश के रक्षा मंत्री ह्यॉन योंग चोल को सरकारी आदेशों की अवहेलना करने की हिमाकत करने के कारण देशद्रोह के आरोप में सरेआम तोप से उड़ा...

उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री को तोप से उड़ाया गया
एजेंसीWed, 13 May 2015 12:50 PM
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उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोन उंग के बेहद करीबी माने जाने वाले देश के रक्षा मंत्री ह्यॉन योंग चोल को सरकारी आदेशों की अवहेलना करने की हिमाकत करने के कारण देशद्रोह के आरोप में सरेआम तोप से उड़ा दिया गया। कहा जाता है कि ह्यान किम जोंग उन की मौजूदगी में एक कार्यक्रम के दौरान सो गए थे, जिसे किम ने अपने आदेशों की अवहेलना माना और ह्यान को इस हिमाकत के लिए मौत की सजा दे दी।

समाचार एजेंसी योनहाप ने देश की खुफिया एजेंसी एनआईएस के हवाले से खबर दी है कि 66 वर्षीय ह्यान को सैकड़ों लोगों की मौजदूगी में 30 अप्रैल को एक सैन्य प्रशिक्षण रेंज में विमानभेदी तोप से उड़ा दिया गया। ह्यान को मौत की सजा उनकी गिरफ्तारी के तीन दिन बाद दी गई। उनपर किसी तरह का मुकदमा नहीं चलाया गया था, लिहाजा उन्हें अपनी सफाई में कुछ भी कहने का मौका भी नहीं दिया गया।

ह्यान को दी गई मौत की सजा की स्वंतत्र रूप से  पुष्टि नहीं हो पायी है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यदि यह खबर गलत होती तो ह्यान या फिर सरकार की ओर से अब तक इसंका खंडन आ जाता। योनहाप की खबरों में बताया गया है कि एनआईएस ने देश के सांसदों के साथ आज हुई एक गुप्त बैठक में यह जानकारी दी कि ह्यान को मौत की सजा दे दी गयी है। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि एनआईएस को खुद यह जानकारी कहां से मिली है।

ऐसी भी खबर है कि ह्यान अपने शीर्ष नेता किम जोंग उन के आदेशों की लगातार अवहेलना करते आए थे। कुछ समय पहले रूस में एक सम्मेलन के दौरान भी उन्होंने किम के खिलाफ कुछ बोला था, जिससे किम उनसे काफी नाराज थे। ह्यान वर्ष 2012 में उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री बनाए गए थे। उन्हें किम का काफी करीबी माना जाता था। ऐसे में उन्हें इतने निर्मम तरीके से मौत की सजा दिए जाने की खबर ने यह बात साफ कर दी है कि किम के राज में उनकी अवहेलना या फिर उनके साथ दगाबाजी की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

अपने पिता किम जोंग इल के निधन के बाद सत्ता संभालने के साथ ही किम अपने राजनीतिक विरोधियों या फिर उनकी सत्ता को चुनौती देने वाले करीब 70 नेताओं और अधिकारियों को मौत के घाट उतार चुके हैं।

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