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आपको याद है आखिरी चिट्ठी कब लिखी थी?

जरा याद कीजिए, आपने पिछला खत कब लिखा था या आपको किसी अपने का पिछला खत कब मिला था, दिमाग पर खासा जोर डालने के बाद भी शायद याद भी ना आए। पर मोबाइल, चैट और मैसेंजर की तुरत-फुरत दुनिया में भी कई ऐसे लोग...

आपको याद है आखिरी चिट्ठी कब लिखी थी?
एजेंसीMon, 30 Mar 2015 03:06 PM
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जरा याद कीजिए, आपने पिछला खत कब लिखा था या आपको किसी अपने का पिछला खत कब मिला था, दिमाग पर खासा जोर डालने के बाद भी शायद याद भी ना आए। पर मोबाइल, चैट और मैसेंजर की तुरत-फुरत दुनिया में भी कई ऐसे लोग हैं, जो आज भी भारतीय वांगमय में चिरकाल से शामिल रही चिट्ठी संस्कृति को अंतिम सांसें गिनने से बचाए हुए हैं।

विभिन्न कार्यों के सिलसिले में साल भर में लगभग 10 हजार से भी ज्यादा पत्र लिखने वाले राज्यसभा सांसद प्रभात झा का मानना है कि पत्र भारतीय समाज में जीवन की सांस हैं और सांसों को मौत की गोद से बचाना ही होगा।

झा ने कहा कि चिट्ठी भारत की संस्कृति है और इसे बचाने के लिए वे हरसंभव प्रयास करते हैं। प्राचीनकाल से ही चिट्ठी खुशी का प्रतीक मानी जाती है और तार दु:ख का। चिट्ठी आने की सूचना मिलते ही पूरे गांव के गांव एक स्थान पर एकत्रित हो जाते थे और इस तरह जाने-अंजाने में ही एक छोटा सा पत्र पूरे समाज को जोडने का माध्यम बन जाता था।

भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री झा ने आधुनिकता की ओर बढ रही पीढी से अपील की है कि वे इंटरनेट के इस युग में नई तकनीक की ओर बढें, लेकिन साथ ही भारत की पुरानी संस्कृति (पत्र संस्कृति) को भी थामें रखें।

उन्होंने चिट्ठियों के माध्यम से राजनीति करने वालों को भी आडे हाथों लेते हुए कहा कि कागज के टुकडे के माध्यम से अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति देश की संस्कृति है, पर दुर्भाग्य से कुछ लोग इसे राजनीति का माध्यम बना रहे हैं।

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