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बिहारः शौचालय के लिए बहुओं ने अन्न-जल का किया त्याग

घर में शौचालय बनाने के लिए डेहरी के मौडीहां की दो बहुओं मनिता व रविना ने शुक्रवार से आमरण अनशन शुरू कर दिया। अन्न-जल त्याग दिया। सास ने अपनी माली हालत की दुहाई देते हुए जल्द शौचालय बनवा देने की बात...

बिहारः शौचालय के लिए बहुओं ने अन्न-जल का किया त्याग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 05 Jul 2015 08:31 PM
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घर में शौचालय बनाने के लिए डेहरी के मौडीहां की दो बहुओं मनिता व रविना ने शुक्रवार से आमरण अनशन शुरू कर दिया। अन्न-जल त्याग दिया। सास ने अपनी माली हालत की दुहाई देते हुए जल्द शौचालय बनवा देने की बात कही। लेकिन, बहुएं जिद पर अड़ गईं। कहा- प्राण त्याग देंगे, लेकिन जब तक शौचालय नहीं बनेगा, अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे। सास ने मजबूर होकर गांव के एक व्यक्ति से पांच हजार रुपये कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण शुरू कराया। रविवार को जब शौचालय बनकर तैयार हो गया, तब सास ने अपने हाथों से दोनों बहुओं को भोजन कराकर अनशन तोड़वाया।

मौडीहां के वीरेन्द्र चंद्रवंशी के पैर से नि:शक्त बेटे नौभ्यू ने बताया कि करीब छह साल पहले मनिता से उसकी शादी हुई थी। आर्थिक तंगी के कारण वह दिल्ली में छोटी पगार पर नौकरी करता है और वहीं पत्नी के साथ रहता है। उसकी पत्नी पांच साल से दिल्ली से गांव नहीं आ रही थी। उसका कहना था कि घर में शौचालय बन जाएगा तब चलेंगे। उसके छोटे भाई लोकेश की 30 मई को शादी थी। देवर की शादी में मनिता गांव आयी।

शौचालय नहीं रहने पर नई बहू रवीना ने भी नाराजगी जतायी। उसने कर्ज लेकर शौचालय बनाने का आग्रह किया था। लेकिन, उसकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। सास कांति देवी ने बताया कि शौचालय बनवाने के मुद्दे पर दोनों बहुएं एकजुट हो गयीं और अचानक शुक्रवार को शौचालय निर्माण होने तक अन्न-जल त्यागने का निर्णय ले लिया। उनकी जिद पर पांच हजार रुपए कर्ज लेकर शौचालय निर्माण का काम शनिवार को शुरू करवाया।

शौचालय बनने के बाद बहुओं का अनशन तोड़वाया। लेकिन, उसके पास टैंक बनवाने के लिए रुपए नहीं हैं। सुना है कि शौचालय निर्माण के लिए स्वच्छता मिशन के तहत 15 हजार रुपए मिलते हैं। लेकिन, उसकी प्रक्रिया के बारे में उसे जानकारी नहीं है। वह इसकी जानकारी जरूर लेगी और बहुओं के सपनों को पूरा करेगी। उसके पति वीरेन्द्र चंद्रवंशी काफी दिनों से बीमार चल रहे हैं। कांति बताती है कि वह बीपीएल परिवार से आती है। स्कूल में रसोइये का काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। कमाई से कुछ बचता है, तो उसे पति के इलाज पर खर्च कर देती है।

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