न्यूयार्क के साथ साइबर एक्सपर्ट तैयार करेगा आईआईटी
डेबिट कार्ड तो दूर, चेक से पेमेंट लेने के लिए भी स्कूल संचालक तैयार नही हैं। जिन स्कूलों में क्वार्टरली फीस ली जाती है, उसमें तो अभी फीस भरने की समस्या नहीं आ रही है लेकिन जिन स्कूलों में मंथली फीस...
डेबिट कार्ड तो दूर, चेक से पेमेंट लेने के लिए भी स्कूल संचालक तैयार नही हैं। जिन स्कूलों में क्वार्टरली फीस ली जाती है, उसमें तो अभी फीस भरने की समस्या नहीं आ रही है लेकिन जिन स्कूलों में मंथली फीस ली जा रही है, वहां अभिभावकों को रोज इस समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। इसके बावजूद स्कूल में स्मार्ट क्लास, कम्प्यूटर क्लास आदि के लिए फीस भी कैश में ही लिया जा रहा है। ऐसे में अभिभावकों के समक्ष संकट है। बच्चों का भविष्य न बिगड़े इस डर से वह इसका विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में स्कूल संचालक कैश में ही फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। इस संबंध में कुछ अभिभावकों ने जिलाधिकारी को शिकायत की है। जिसमें अभिभावकों ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा है कि नोटबंदी के कारण विद्यालयों द्वारा पुराने नोटों के बजाए नई करेंसी में ही फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है।
इस शिकायत के मद्देनजर जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी सरकारी और पब्लिक स्कूलों को निर्देश दिया है कि नई करेंसी की समस्या होने के कारण विद्यालय नेट बैंकिंग, ई-बैंकिंग आदि कैशलेस माध्यमों का उपयोग कर फीस जमा करने का विकल्प दें। हालांकि स्कूलों की मनमानी अब भी नहीं रुक रही और वह लगातार अभिभावकों पर नई करेंसी में फीस जमा कराने पर दबाव बना रहे हैं। डीआईओएस का कहना है कि यदि स्कूल कैश में ही फीस लेने की किसी तरह की मनमानी करते हैं तो अभिभावक उसकी शिकायत डीआईओएस कार्यालय में कर सकते हैं। सभी विद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि ई बैंकिंग और नेट बैंकिंग से फीस लेने का विकल्प दिया जाए।
क्या कहते हैं अभिभावक
राहुल कुमार कहते हैं कि स्मार्ट क्लास की फीस कैश में ही ली जा रही है। नई करेंसी की समस्या बताने के बावजूद स्कूल ई-बैंकिंग के माध्यम से फीस लेने को तैयार नही हैं। जबकि रवि कुमार का कहना है कि पहले स्कूल में मंथली फीस ली जाती थी। लेकिन इस बार स्कूल वालों ने तीन महीने का फीस एडवांस ही ले लिया। खुल्ले पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने तीन महीने का फीस रख लिया। इससे बजट काफी बिगड़ा है।
क्या कहते हैं प्रिंसिपल
स्प्रिंग फील्ड कॉलेज की प्रिंसिपल नीरू सरन कहती हैं कि कैश में ही फीस जमा करने की कोई बाध्यता नहीं है। यदि अभिभावक चाहें तो वह ई-बैंकिंग से भी फीस जमा करा सकते हैं। इस संबंध में किसी भी अभिभावक पर कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है।
राजेंद्र एकेडमी के प्रिंसिपल डॉ. आईसी गौतम का कहना है कि स्कूल की ओर से कैश में ही फीस जमा करने का कोई दबाव नहीं है। यदि कोई स्कूल ऐसा कर भी रहे हैं तो नोटबंदी के इस समय में अभिभावकों का सहयोग करना उनकी जिम्मेदारी है।