मुरादाबाद निकाय चुनाव में नए परिसीमन में आरक्षण पर पार्षदों में बेचैनी
नया परिसीमन का काम पूरा होने के बाद अब निगाहें अनुसूचित जाति के आरक्षित वार्डो पर टिकी है। नए परिसीमन से निकाय चुनाव में आरक्षण का आंकड़ा बदला रहेगा। हालांकि आरक्षण की स्थिति साफ न होने से मौजूदा...
नया परिसीमन का काम पूरा होने के बाद अब निगाहें अनुसूचित जाति के आरक्षित वार्डो पर टिकी है। नए परिसीमन से निकाय चुनाव में आरक्षण का आंकड़ा बदला रहेगा। हालांकि आरक्षण की स्थिति साफ न होने से मौजूदा पार्षदों की धड़कन तेज है। यदि अनुमान के मुताबिक आरक्षण की संख्या बढ़ी तो कई पुराने पार्षदों को अपनी सीट से हाथ धोना पड़ सकता है। पिछले चुनाव में निगम में एससी के सात वार्ड आरक्षित थे। तब चुनाव पुराने परिसीमन पर हुए थे। इस बार यह संख्या बढ़ने के आसार है। भाजपा सरकार में निकाय के चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। नए सिरे से परिसीमन का काम पूरा हो गया है। परिसीमन 2011 की जनगणना से ज्यादातर वार्डो का भूगोल बदला है। वार्ड की तो संख्या नहीं बढ़ी पर इससे भाजपा समेत निर्दलीय पार्षदों में हलचल है। आरक्षण से भी हलचल है। मौजूदा कौन से वार्ड एससी कोटे शामिल होंगे। अभी साफ नहीं है। इससे पुराने पार्षदों में वार्ड को लेकर खतरा बना हुआ है। एससी में शामिल होने से वार्ड के सियासी समीकरण बदल जाएंगे। आरक्षण को हालात बदले है। नया परिसीमन, जनगणना और वार्ड में फेरबदल। आरक्षण के क्रम से वे परेशान है। इस बार अनुसूचित जाति की अधिकतम संख्या वार्ड से शुरूआत हुई है। इसके चलते निगम में पहला वार्ड शाहपुर तिगरी बना है। हालांकि पहले के चार वार्डो में एससी की आबादी 12 से 13.88 फीसद है। आरक्षण की चपेट में एक से तीन बार के पार्षद भी आ सकतें है।