पंच महायज्ञों से प्राप्त होता है स्वर्ग
-यज्ञशाला व वेद कथा का शुभांरम्भ लखनऊ । हिन्दुस्तान संवादसत्यनारायण वेद प्रचार ट्रस्ट व जिलावेद प्रचार संगठन लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को जानकीपुरम रसूलपुर कायस्थ स्थित आर्ष गुरुकुलम में...
-यज्ञशाला व वेद कथा का शुभांरम्भ लखनऊ । हिन्दुस्तान संवादसत्यनारायण वेद प्रचार ट्रस्ट व जिलावेद प्रचार संगठन लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को जानकीपुरम रसूलपुर कायस्थ स्थित आर्ष गुरुकुलम में भव्य नवनिर्मित यज्ञशाला का उद्घाटन संगठन के संस्थापक आचार्य विश्वव्रत शास्त्री ने किया। तत्पश्चात 108 कुंडीय यज्ञ वैदिक रीति से संपन्न हुआ। यज्ञशाला उद्घाटन व वेद कथा के अवसर पर आचार्य विश्वव्रत शास्त्री ने वेदों के आधार पर कहा कि प्रत्येक श्रेष्ठ कर्म यज्ञ है। प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन अपने जीवन में ब्रह्मयज्ञ , देवयज्ञ , पितृयज्ञ , बलिवैश्वदेव यज्ञ व अतिथि यज्ञ नामक पांच महायज्ञ जरूर करने चाहिए। जिस घर में परिवार के लोग प्रतिदिन पांच महायज्ञ करते हैं वहां के लोग इस जीवन व परलोक में भी प्रभुकृपा से सुखविशेष की अवस्था स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। उन्होंने बताया कि अग्निहोत्र अर्थात हवन (यज्ञ) को देवयज्ञ कहते है। यह प्रतिदिन इसलिए करना चाहिए क्योंकि हम दिनभर अपने शरीर के द्वारा वायु, जल और पृथ्वी को प्रदूषित करते रहते है। आजकल हमारे भौतिक साधनों से भी प्रदूषण फैल रहा है, जिसके कारण अनेक बीमारियाँ फैल रही है। उस प्रदूषण को रोकना तथा वायु, जल और पृथ्वी को पवित्र करना हमारा परम कर्तव्य है। सब प्रकार के प्रदूषण को रोकने का एक ही मुख्य साधन है और वो है हवन। अनुसंधानों के आधार पर एक बार हवन करने से 8 किलोमीटर तक की वायु शुद्ध होती है तथा हवन के द्वारा ही ओज़ोन परत को सिर्फ बचा ही नहीं सकते बल्कि बना भी सकते है। हवन में बोले जाने वाले मंत्रों का मन एवं आत्मा पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इनसे मानसिक, आत्मिक पवित्रता एवं शांति मिलती है। इस मौके पर संगठन अध्यक्ष नवीन सहगल, सचिव संजीव मिश्रा, उपाध्यक्ष संतोष त्रिपाठी, अरविंद कुमार गुप्ता, अखिलेश मिश्रा, दीपक मिश्रा, चंद्रभान सिंह, हीरा मणि त्रिपाठी, मधुलिका गुप्ता, सुनीता सिंह, सहित काफी लोग उपस्थित रहे। संचालन डॉक्टर सत्यकाम आचार्य ने किया।