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उर्दू, उर्दू अरबी-फ़ारसी विवि के पुस्तकालय की पुस्तकों का डिजिटलाइजे़शन शुरू

लखनऊ। निज संवाददाताख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी-रसी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन होगा। इस काम को रेख्ता फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। इसको लेकर पिछले माह फाउंडेशन...

उर्दू, उर्दू अरबी-फ़ारसी विवि के पुस्तकालय की पुस्तकों का डिजिटलाइजे़शन शुरू
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 20 Apr 2017 06:55 PM
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लखनऊ। निज संवाददाताख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी-रसी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन होगा। इस काम को रेख्ता फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। इसको लेकर पिछले माह फाउंडेशन के एक दल ने पुस्तकालय का भ्रमण कर वहां पर रखी किताबो के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की थी। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार रेख्ता फाउंडेशन की रिसर्च यूनिट ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की पुस्तकों को डिजिटलाइज़्ड करने का काम करेगी। इसकी प्रक्रिया फाउंडेशन ने 19 अप्रैल से से प्रारम्भ कर दी है। रेख्ता फाउंडेशन की अपनी वेबसाइट है। जिसका उद्देश्य उर्दू भाषा व साहित्य का उत्थान करना है। फाउंडेशन की वेबसाइट पर उर्दू भाषा और साहित्य से जुड़े विभिन्न प्रकार की पुस्तके उपलब्ध हैं। रेख्ता इस सिलसिले में विभिन्न प्रकार की हजारों दुर्लभ पुस्तकें अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर चुकी है। जिससे देश-विदेश के हज़ारों लोग फायदा उठा चुके हैं। मालूम हो कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में मुंशी नवल किशोर प्रेस की लगभग ढाई हजार पुस्तकें हैं, जो मुंशी नवल किशोर प्रेस के मालिकान ने विश्वविद्यालय को भेंट की हैं। इसके अतिरिक्त प्रोफेसर शारिब रूदौलवी ने भी पिछले साल अपने निजी पुस्तकालय से लगभग पांच हजार पुस्तकें विश्वविद्यालय को भेंट की हैं जिसमें कई दुर्लभ पुस्तकें भी शामिल हैं। कुलपति प्रो. खान मसूद अहमद का कहना है कि रेख़्ता के इस कदम से अब विश्वविद्यालय की पुस्तकें आम पाठकों और साहित्य प्रेमियों की पहुंच में आ जाएंगी। ------------------------------------------------------------ साहित्य प्रेमी भी अपनी दुर्लभ पुस्तके व पाण्डुलिपियों का कर सकते हैं डिजिटालाइजेशनकुलपति ने कहा कि शहर में ऐसे कई साहित्य प्रेमी हैं जिनके पास दुर्लभ पुस्तकें और पाण्डुलिपियां हैं, यदि वह उन पुस्तकों को आमजन तक पहुंचाने के लिए उन्हें डिजिटलाइज्ड कराने के इच्छुक हैं तो वह इसके लिए विश्वविद्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं। विश्वविद्यालय इस कार्य में उन्हें यथासम्भव सहयोग देगा।

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