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फिर वही चेहरा बेचैन मुझको कर गया

हमारे प्रतिनिधि सीवान। अदबी संगम के बैनर तले जिले के धनखर गांव में ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें हिन्दी, भोजपुरी व उर्दू के कवि व शायरों ने अपनी कविता व गजल से महफिल...

फिर वही चेहरा बेचैन मुझको कर गया
Sat, 08 Dec 2012 12:26 AM
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हमारे प्रतिनिधि सीवान। अदबी संगम के बैनर तले जिले के धनखर गांव में ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें हिन्दी, भोजपुरी व उर्दू के कवि व शायरों ने अपनी कविता व गजल से महफिल में चार-चांद लगा दिया। कवि सम्मेलन व मुशायरे की अध्यक्षता शायर फहीम जोगापुरी व संचालन तंग इनायत पुरी ने किया। उद्घाटन डॉ. जाकिर हुसैन ने किया। महफिल की शुरुआत मो. अनस के हम्द-ए-पाक मुशायरे से हुआ। डॉ. तारिक अनवर ने फिर वही चेहरा बहुत बेचैन मुझको कर गया, एक खलशि दिल में हुई आंखों में पानी भर गया सुनाकर वाहवाही बटोरी।

छपरा के खुर्शीद साहिल ने अश्क मेरे बदल देंगे हालात भी, खुशगुमानी में रहती है बरसात भी और प्रो. जया कुतबी का शेर जल रहा है ये क्यों आशियां, इस जहां से जरा पूछिए को लोगों ने खूब पसंद किया। मिराजुद्दीन तशि्ना ने ये किस दलदल में फंसता जा रहा हूं, तुम्हारे दिल में बसता जा रहा हूं, आर.आर.सुशील ने आपका सिर्फ मान रखते हैं वर्ना हम भी जुबान रखते हैं, अज्म शाकरी ने उससे मिलने की जुस्तजू भी है और वो मेरे रुबरु भी है सुनाकर महफिल में धूम मचायी।

हसन नवाज ने अपनी शायरी दामाने मुहब्बत को अश्कों से भिंगो लेना, जब याद मेरी आये तन्हाई में रो लेना, गाजीपुर की संज्ञा तिवारी ने अच्छे-भले को पागल समझा जाता है, धुंये को भी बादल समझा जाता है, मऊ के मजाहिया शायर कभी जिनके तसव्वुर से मेरे दिल को करार आया, वही जब रुबरु आये तो सौ डिग्री बुखार आया सुनाकर लोगों को लोट-पोट कर दिया। सुभाषचंद यादव ने जिनगी नाव ह झमेला के, खेल ल चार दिन के खेला के, गोपालगंज के शायर रजी अहमद फैजी ने मेरे बेटे गमों का मेरे अंदाजा नहीं करते, नहीं तो जिंदगी में मेरा बंटवारा नहीं करते सुनाकर कवि सम्मेलन को गमगीन कर दिया।

मुगल सराय के शायर सुहैल उस्मानी ने पढ़ा, मुहब्बत तुम भी करते थे, मुहब्बत मैं भी करता था, इबादत तुम भी करते थे इबादत मैं भी करता था, गोरखपुर के सत्यमवदा शर्मा ने हर अग्नि परीक्षा में उतारा गया मुझे, बेटी समझ के कोख में मारा गया मुझे सुनाकर कन्या भ्रूण हत्या पर वार किया। बेतिया के मंजर सुल्तान ने दिन गुजर जाता है और शाम ढल भी जाती है, अपने घर बार की तस्वीर बदल जाती है। फहीम जोगापुरी ने कैंचिया चाहती हैं चेहर-ए-उर्दू कट जाय, क्या ये मुमकिन है कि तलवार से खुशबू कट जाए सुनाकर कौमी एकता का संदेश दिया।

कवि सम्मेलन व मुशायरा के आखिर में तंग इनायतपुरी ने भाषाई जहर बोने वालों के नाम शेर पढ़ा। उसे उर्दू से क्या मतलब, उसे हिन्दी से क्या मतलब, वो हिन्दी व उर्दू में सियासी भेद करता है खिलांऊ कैसे बिरयानी मैं हिन्दी और उर्दू की, वो जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है। तौसिफ खान, नैयर खान, टीपू सुल्तान, आसिफ अनवर, मो. असलम, फहीम जावेद, डॉ. फैयाज, एजाजुद्दीन व हथौड़ा पंचायत के मुखिया जहीरुद्दीन अंसारी आदि मौजूद थे।

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