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गर्मियों में ऐसे करें आंखों की देखभाल

अगर आंखें न हों तो हम इस खूबसूरत दुनिया को देख पाएंगे क्या? आंखों के बारे में सदियों से कवि व शायर लिखते रहे हैं। आंखों को नयन, लोचन, नयन, नैना जैसे कई नाम दिए गए हैं। ये आखें अभिव्यक्ति का माध्यम भी...

गर्मियों में ऐसे करें आंखों की देखभाल
एजेंसीSat, 21 May 2016 10:35 AM
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अगर आंखें न हों तो हम इस खूबसूरत दुनिया को देख पाएंगे क्या? आंखों के बारे में सदियों से कवि व शायर लिखते रहे हैं। आंखों को नयन, लोचन, नयन, नैना जैसे कई नाम दिए गए हैं। ये आखें अभिव्यक्ति का माध्यम भी है, तभी तो आंखों-आंखों में बात हो जाती है।

कुदरत का अनमोल तोहफा आंखों का ख्याल रखना भी बहुत जरुरी है। गर्मियां में झुलसाने वाली तेज धूप और उसकी तपिश न सिर्फ आपकी सेहत के लिए, बल्कि आंखों भी सही नहीं है।

गर्मी का मौसम अपने साथ कई समस्याएं लेकर आता है। जब आप अपनी त्वचा की रक्षा के लिए सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करते हैं तो आंखों का बचाव भी जरूरी है, खासकर सूरज से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से आंखों का बचाव बेहद जरूरी है।

गर्मी के कारण आंखों में मेलानोमा या लायमोफोमा जैसी कई तरह की बीमारियां होने का जोखिम बढ़ जाता है। यहां तक कि जब सूरज बादलों की ओट में छिप जाता है, ऐसी स्थिति में भी अल्ट्रा वॉयलेट किरणें उसे भेदने में सक्षम होती हैं।

पद्मश्री से सम्मानित डॉ. महिपाल एस. सचदेव सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के प्रबंध निदेशक, चेयरमैन और चिकित्सा निदेशक भी हैं। वह बताते हैं, ‘अल्ट्रा वॉयलेट किरणें मौसम के साथ फैलती हैं, जिसकी गति प्रकाश से भी अधिक तेज होती है। यहां तक कि छाया में भी अल्ट्रा वॉयलेट किरणें मौजूद रहती हैं और कई समस्याएं उत्पन्न करती हैं।’

आंखों के बचाव के लिए खास बातें

सनग्लासेज, सनस्क्रीन और हैट: सन ग्लास यानी धूप का चश्मा खतरनाक अल्ट्रा वॉयलेट ‘ए’ और अल्ट्रा वायलेट ‘बी’ किरणों को रोकता है। यहां तक कि आप छाया में खड़े हों तब भी सन-ग्लास का उपयोग करें। छाया में यूवी का कुछ डिग्री कम होता है, लेकिन आपकी आंखों पर सामने की इमारतों, सड़क पर चलते वाहनों और अन्य धरातलों से टकराकर आने वाली यूवी किरणें अपना प्रभाव दिखा सकती हैं।

चैडे किनारे वाली टोपी या हैट सूरज की किरणें आपकी आंखों तक रोकने के लिए बचाव की एक अतिरिक्त परत का काम करती हैं।

हाइड्रेशन (जलीकरण) बेहद जरूरी: नमी आपके नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी जरूर पीएं, ताकि आखों और त्वचा को डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके। डिहाइड्रेशन से आपकी आंखों में लुब्रिकेशन की कमी आ सकती है, जिससे जीरोफ्थलमिया (सूखी आंखें) जैसी बीमारी संभव है। पर्याप्त जलीकरण आपके नेत्रों की गतिविधियां गर्मियों के प्रभाव को संतुलित कर विपरीत प्रभावों से बचाए रखता है।

बचाव ही बेहतर इलाज

दुष्प्रभाव वाली किरणों से बचाव और देखभाल ही आपके नैनों के लिए सबसे बड़ा इलाज है। आपकी आंखें स्वस्थ रहें और दृष्टि ठीक रहे, इसके लिए अच्छे नेत्र चिकित्सक का परामर्श जरूर लें और अपनी आंखों की जांच थोड़े-थोड़े दिनों पर जरूर करवाएं। वरना नैना ठग लेंगी...!

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