बेतला के मेसो क्षेत्र में भटक रहे हैं आदिम जनजाति के बच्चे, ढो रहे पानी
सरकार एक तरफ आदिम जनजातियों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही हैं। वहीं मेसो क्षेत्र होने के बाद भी लातेहार जिले में छात्रों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। छात्रों को पढ़ने के लिए कल्याण विभाग से...
सरकार एक तरफ आदिम जनजातियों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही हैं। वहीं मेसो क्षेत्र होने के बाद भी लातेहार जिले में छात्रों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। छात्रों को पढ़ने के लिए कल्याण विभाग से संचालित कई स्कूल हैं। लेकिन यहां पेयजल की किल्लत प्रेशानी का सबब बन चुकी है।
इसका उदाहरण आदिम जनजाति बालिका आवासीय प्राथमिक स्कूल कुटमू में दिख रहा है। यहां पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अपनी प्यास बुझाने के लिए छात्रों को स्कूल के बाहर जाना पड़ रहा है। दूरभाष केंद्र के पास का एकमात्र चापानल बालिकाओं के लिए जीवनरेखा साबित हो रही है। पानी की जुगाड़ में स्कूल से बाहर जाने के कारण इन छोटी-छोटी बालिकाओं को चिलचिलाती धूप का सामना करना पड़ता है।
प्रभारी हेडमास्टर सुकन सिंह ने कहा कि स्कूल परिसर के चापानल का जलस्तर काफी नीचे चले जाने के कारण घंटों मशक्कत करने के बाद दो-चार लोटा ही पानी निकलता है। उन्होंने जल संकट से संबंधित उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिए जाने की बात कही। ज्ञात हो कि स्कूल की 90 बालिकाएं इनदिनों पेयजल की विकट समस्या से जूझने को विवश हैं।