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अमेरिका का ऑप्शन बनेंगे कनाडा और अफ्रीका, भारतीय इंजीनियरों का भविष्य सुरक्षित

एच 1 वीजा के नियमों को सख्त करने के बाद अमेरिका में जॉब मिलना मुश्किल हुआ तो देश के इंजीनियरों ने इसका ऑप्शन कनाडा और अफ्रीका के रूप में तलाश लिया है। साथ ही कम्प्यूटर साइंस व आईटी सेक्टर के इंजीनियर...

अमेरिका का ऑप्शन बनेंगे कनाडा और अफ्रीका, भारतीय इंजीनियरों का भविष्य सुरक्षित
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 02 May 2017 09:30 PM
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एच 1 वीजा के नियमों को सख्त करने के बाद अमेरिका में जॉब मिलना मुश्किल हुआ तो देश के इंजीनियरों ने इसका ऑप्शन कनाडा और अफ्रीका के रूप में तलाश लिया है। साथ ही कम्प्यूटर साइंस व आईटी सेक्टर के इंजीनियर देश में भी अपना भविष्य उज्ज्वल देख रहे हैं।

एच 1 वीजा से भारतियों का अमेरिका में नौकरी पाना अब मुश्किल हो गया है। इन्फोसिस ने 10 हजार भर्तियां निकाली हैं मगर सिर्फ अमेरिकियों के लिए। इस जॉब पर पहले 50 प्रतिशत से अधिक कब्जा भारतियों का रहता था। इससे कम्प्यूटर साइंस व आईटी सेक्टर में खलबली जरूर मची है मगर पढ़ाई कर रहे छात्र बहुत अधिक परेशान नहीं है। उनका मानना है कि अमेरिका में जॉब करना देश के इंजीनियरों की चाहत थी तो वहां की कम्पनियों की मजबूरी भी है। इस रोक से वहां की कम्पनियों को भी भारी नुकसान होगा और उन्हें या तो हमें रखना होगा या फिर अपनी कम्पनी का विस्तार इंडिया में करना होगा।

ऑस्ट्रेलिया, यूके, अरब-यूरोप के देशों में भविष्य : कम्प्यूटर साइंस और आईटी सेक्टर के एक्सपर्ट ने बताया कि अमेरिका में देश के इंजीनियर अधिक जाते हैं। अब ऑस्ट्रेलिया, यूके, अरब देश व यूरोपीय देशों में भी इस सेक्टर में अच्छी जॉब मिल रही है। साथ ही देश में भी बड़ी-बड़ी कम्पनियां अपना विस्तार कर रही हैं। इससे इस फील्ड के इंजीनियरों के लिए बहुत अधिक परेशानी नहीं होगी। अमेरिका के रोक लगाने से एक या दो साल तक इस सेक्टर में आने वाले नए इंजीनियरों को जरूर कुछ परेशानी होगी।

जरूरत उनकी भी है : कम्प्यूटर साइंस की छात्रा शिवाली वर्मा कहती हैं, अमेरिका में जॉब न मिलने का मतलब ये नहीं कि हमारा टैलेंट खत्म हो गया। देश में चल रही नई योजनाओं के तहत हम अपने टैलेंट से खुद का बिजनेस कर सकते हैं। साथ ही देश में भी कई विदेशी कम्पनियां कार्य कर रही हैं, जिन्हें हमारी जरूरत है। अमेरिका को इंडिया के टैलेंट की जरूरत पड़ेगी और उन्हें बदलाव करना होगा।

पैकेज में कमी पर भविष्य पर खतरा नहीं : आईआईटी कानपुर के कम्प्यूटर साइंस विभाग के हेड डॉ. संदीप शुक्ला कहते हैं, इंडिया में भी सभी कुछ डिजिटलाइज्ड हो रहा है। यहां भी इंडस्ट्रियां तेजी से ग्रोथ करेंगी इसलिए युवाओं को बहुत अधिक दिक्कत नहीं होगी। साथ ही अन्य कुछ देश भी आईटी सेक्टर में तेजी से वर्क कर रहे हैं, इसका भी लाभ मिलेगा। यह बात जरूर है कि अमेरिका यहां के टैलेंट से अच्छा लाभ कमाता था और इंजीनियरों को भी अच्छा फायदा देता था। पैकेज में जरूर थोड़ी कमी आएगी मगर भविष्य उज्ज्वल है।

इंडिया में टैलेंट की कमी नहीं : एचबीटीयू के सीएस डिपार्टमेंट के हेड डॉ. नरेंद्र कोहली कहते हैं, अमेरिका के रोक लगाने से कुछ परेशानी जरूर होगी मगर अब अफ्रीका, कनाडा, यूएस और यूरोपियन देशों में भी आईटी सेक्टर तेजी से डेवलप हो रहा है। साथ ही इंडिया में भी बहुत डिमांड है इसलिए बहुत अधिक परेशानी नहीं होगी। हां ये जरूर है कि छात्रों के पैकेज पर कुछ फर्क पड़ेगा। इंडिया में टैलेंट अधिक है, इस बात को सभी कम्पनियां मानती हैं। अब अमेरिका सिर्फ उन्हीं को एच 1 वीजा देगा, जो उनकी जरूरत होंगे।

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