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आमसभा व संविधान संशोधन पर संकट के बादल!

टाटा वर्कर्स यूनियन के संविधान संशोधन व आमसभा पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यूनियन के विपक्षी खेमे ने डीसी-एसपी की देखरेख में हुए चुनाव को ही असंवैधानिक बताते हुए इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।...

आमसभा व संविधान संशोधन पर संकट के बादल!
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 20 May 2015 09:45 PM
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टाटा वर्कर्स यूनियन के संविधान संशोधन व आमसभा पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यूनियन के विपक्षी खेमे ने डीसी-एसपी की देखरेख में हुए चुनाव को ही असंवैधानिक बताते हुए इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। भविष्य में अब हाईकोर्ट से अगर फिर से चुनाव कराने का आदेश आता है तो संविधान संशोधन व आमसभा पर स्वत: रोक लग जाएगी।

झारखंड हाईकोर्ट के  आदेश के बाद टाटा वर्कर्स यूनियन में नौ मार्च को डीसी-एसपी की देखरेख में चुनाव हुआ था। इस चुनाव में विपक्ष की सबसे बड़ी आपत्ति ऑफिस बियरर के चुनाव के लिए प्रक्रिया को लेकर है। चुनाव के दौरान कमेटी मेंबरों को मतगणना देखने का मौका मिला। वहीं, ऑफिस बियरर के 11 पदों के लिए 50 उम्मीदवारों को मतगणना से दूर रखा गया। अब विपक्ष इसे ही आधार बनाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के तहत पूर्व की परंपरा के आधार पर चुनाव न होने की बात कही गई है। बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट ने दो मामले में सुनवाई करने की याचिका को मंजूर कर सत्ता पक्ष के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।

फैसला आया तो रद्द हो जाएगी पूरी कार्रवाई
सुनवाई में अगर झारखंड हाईकोर्ट ने ऑफिस बियरर का चुनाव फिर से कराने का आदेश देती है तो डीसी-एसपी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठेंगे ही। साथ ही यूनियन द्वारा अब तक की सभी कार्यवाही पर भी रोक लग जाएगी। चुनाव बाद से टाटा वर्कर्स यूनियन द्वारा जहां संविधान संशोधन व चुनाव नियमावली के लिए फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया गया है वहीं, इस ड्राफ्ट को 15 मई को हुई आमसभा कराकर 13 हजार से ज्यादा यूनियन सदस्यों की मंजूरी ले ली गई है।

पूर्व में भी रद्द हो चुका है चुनाव

जनवरी 2005 में तत्कालीन यूनियन अध्यक्ष आरबीबी सिंह द्वारा कराए गए यूनियन चुनाव को असंवैधानिक करार देते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व श्रमायुक्त निधि खरे ने रोक लगा दी थी। इस दौरान भी यूनियन के विपक्षी खेमे द्वारा संविधान अनुरूप चुनाव नहीं कराने का आरोप लगाया गया था। अध्यक्ष आरबीबी सिंह द्वारा 214 की जगह 192 कमेटी मेंबरों का चुनाव कर दस ऑफिस बियरर को बिना मतदान के ही चुना था। इसे बाद में निरस्त कर जुलाई 2006 में पुन: चुनाव हुआ और रघुनाथ पांडेय को यूनियन का नया अध्यक्ष चुना गया था। इस डेढ़ वर्ष की अवधि में हुए सभी कार्यवाही व समझौतों को भी चुनाव की ही तरह रोक लगा दी गई थी।

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