जमशेदपुर के इतिहास में पहली बार नहीं निकला मातमी जुलूस
लौहनगरी के इतिहास में पहली बार शिया समुदाय का मातमी जुलूस साकची गोलचक्कर तक नहीं निकला। लाइसेंस के विवाद के कारण साकची पुलिस ने पारंपरिक जुलूस की अनुमति नहीं दी। समानांतर कमेटियां बन जाने से अब...
लौहनगरी के इतिहास में पहली बार शिया समुदाय का मातमी जुलूस साकची गोलचक्कर तक नहीं निकला। लाइसेंस के विवाद के कारण साकची पुलिस ने पारंपरिक जुलूस की अनुमति नहीं दी। समानांतर कमेटियां बन जाने से अब ‘लाइसेंसी’ के लिए कानूनी लड़ाई होने की संभावना बढ़ गई है।
सांकेतिक मातम
साकची में अशरे की मजलिस में ही सांकेतिक मातम हुआ। हुसैनी मिशन ने वेल्लार रोड में और हुसैनी वेलफेयर मिशन ने मोहिनी रोड में अशरे की मजलिस के बाद सांकेतिक मातम किया। निशान, झूला और ताबूत बरामद किया गया। जंजीर जानी, नुहाख्वानी और ‘या हुसैन’ का मातम किया।
ये है मामला
शहर में शिया समुदाय के एकमात्र संगठन ‘हुसैन मिशन’ की स्थापना वर्ष 1928 में हुई थी। हुसैनी मिशन के सचिव राशिद ने बताया कि कुछ वर्ष पहले सचिव बदला गया, लेकिन लाइसेंस पूर्व सचिव एसएम हैदर के नाम ही है। लाइसेंसी का नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी न होने से इस बार समस्या हो गई। कागजी तौर पर अधिकृत लाइसेंसी एसएम हैदर ने हुसैनी वेलफेयर मिशन बना लिया और जुलूस का आवेदन दिया। इधर, हुसैनी मिशन के नए सचिव राशिद ने जुलूस की अनुमति मांगी। एक जुलूस के लिए दो आवेदन को देखते हुए साकची पुलिस ने जुलूस की अनुमति नहीं दी।