कर्ण सत्यार्थी ने बढ़ाया झारखंड का मान, देशभर में मिला नौंवा स्थान
ो धनबाद के कर्ण सत्यार्थी ने यूपीएससी का चक्रव्यूह भेदकर देशभर में नौंवा स्थान हासिल किया है। बचपन से ही कर्ण का रुझान सिविल सर्विसेस की ओर रहा था। धनबाद के डिनोबली स्कूल डिगवाडीह से प्लस टू कर...
ो
धनबाद के कर्ण सत्यार्थी ने यूपीएससी का चक्रव्यूह भेदकर देशभर में नौंवा स्थान हासिल किया है। बचपन से ही कर्ण का रुझान सिविल सर्विसेस की ओर रहा था। धनबाद के डिनोबली स्कूल डिगवाडीह से प्लस टू कर आईआईटी में प्रवेश पाया। आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई पूरी करने के बाद कर्ण ने सिविल सर्विसेस की तैयारी शुरू कर दी। कर्ण ने दूसरे प्रयास में अपनी मंजिल हासिल की।
पहले प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद उससे और अधिक आत्मविश्वास के साथ तैयारी शुरू कर दी। आईआईटी का छात्र होने के बावजूद मुख्य परीक्षा में कर्ण ने राजनीति विज्ञान को चुना। कर्ण के पिता प्रफुल्ल कुमार शर्मा बीआईटी सिंदरी में सिविल इंजीनियर के प्रोफेसर हैं। प्रो शर्मा ने बताया कि कर्ण बचपन से ही कहता था कि सिविल सर्विस में जाना है।
इसके लिए मैं और मेरी पत्नी तुनजा शर्मा ने हर पल उसकी हौसलाआफजाई की। कर्ण की बहन आकांक्षा ने भी मणिपाल से मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर ली है। कर्ण ने झारखंड और बिहार का ऑप्शन दिया था। लेकिन कर्ण की इच्छा बिहार में काम करने की है।