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जंगल गैंग्स ऑफ झारखंड पार्ट-1

प्रियांशु कुमारी अपने पिता को एक अध्यापक के रूप में याद करती हैं। उदय यादव जो कि उन दिनों एक सरकारी स्कूल में शाम के समय में बच्चों को गणित पढाते थे। झारखंड के मनिका गांव में अपने घर के दरवाजे, जो कि...

जंगल गैंग्स ऑफ झारखंड पार्ट-1
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 25 Jan 2016 09:19 PM
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प्रियांशु कुमारी अपने पिता को एक अध्यापक के रूप में याद करती हैं। उदय यादव जो कि उन दिनों एक सरकारी स्कूल में शाम के समय में बच्चों को गणित पढाते थे। झारखंड के मनिका गांव में अपने घर के दरवाजे, जो कि ईंट और प्लास्टर से बने हुए थे, पर बैठकर उन्होंने मुझसे जोर देकर कहा कि यदि मुझे उनके जैसा बनना है तो मैं अपनी पढ़ाई आगे जारी रखूं लेकिन पिछले साल जून में उमेश यादव ने एक रात अपना घर छोड़ दिया और अचानक रातों-रात कई अन्य पहचान हासिल कर ली।

किसी ने आरोप लगाते हुए कहा कि वो एक माओवादी थे, कई अन्य लोगों ने कहा कि वो पुलिस के मुखबिर थे, वहीं कुछ लोगों ने कहा कि वो पुलिस और माओवादियों के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे थे। प्रियांशु ने बताया कि रात में खाना खाने के बाद वो सोने के लिए छत पर चले गए। रात के करीब दस बजे घर के बाहर एक बाइक सवार ने उनको अकेले नीचे बुलाया और अपने साथ ले गए। अगले दिन सुबह समाचार चैनल पर प्रियांशु ने देखा कि उमेश यादव समेत 12 माओवादियों को पुलिस ने एक मुठभेड़ के दौरान सतबरुआ गांव, जो कि मनिका गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर है, में मार गिराया।

उमेश यादव के पिता जवाहर प्रसाद ने बताया कि पिछले दस सालों से वो एक सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे। उस दौरान उन पर कोई भी आरोप नहीं था। वो छुप कर भी नहीं रहते थे। यदि वो माओवादी होते तो पुलिस ने उनको उस दौरान क्यों नहीं गिरफ्तार किया। परिवार, दोस्तों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि उमेश यादव समेत चार अन्य लोग जो मुठभेड़ में मारे गए वो माओवादी नहीं थे।

18 जून को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने एक बयान जारी कर इस मुठभेड़ को झूठा करार दिया और साथ ही बताया कि इस मुठभेड़ में पुलिस ने जिन्हें मारा है उनमें से केवल सात लोग ही हमारी पार्टी के सक्रिय सदस्य थे। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के ने भी उनके दावे का समर्थन किया।

अब सवाल यह उठता है कि यदि वो पांच लोग माओवादी नहीं थे, तो वे पुलिस के साथ हुई झड़प में कैसे मारे गए? या पुलिस ने उन लोगों वास्तव में मार डाला था?

स्थानीय लोगों की गवाही, मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के बयान के आधार पर कहा जा सकता कि माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों द्वारा अपनाई गई प्रतिद्वंद्वी सशस्त्र गिरोहों के उपयोग करने की रणनीति से नुकसान ही हुआ है।

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