फोटो गैलरी

Hindi Newsडीसीएफ लैब टेस्टिंग में सफल, अब खदान में उतारा जाएगा

डीसीएफ लैब टेस्टिंग में सफल, अब खदान में उतारा जाएगा

कोयला व अन्य खदानों में बालू भराई का विकल्प अब ओबी (ओवर बर्डन) बनेगा। शुक्रवार को आईआईटी आइएसएम धनबाद में माइिनंग इंजीनियरिंग विभाग में तैयार डीसीएफ (ड्राई कॉम्पेक्ट फील) का सफल परीक्षा किया गया।...

डीसीएफ लैब टेस्टिंग में सफल, अब खदान में उतारा जाएगा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 18 Mar 2017 08:00 PM
ऐप पर पढ़ें

कोयला व अन्य खदानों में बालू भराई का विकल्प अब ओबी (ओवर बर्डन) बनेगा। शुक्रवार को आईआईटी आइएसएम धनबाद में माइिनंग इंजीनियरिंग विभाग में तैयार डीसीएफ (ड्राई कॉम्पेक्ट फील) का सफल परीक्षा किया गया। बीसीसीएल के पूर्व सीएमडी बी पान के अलावे बीसीसीएल, सीएमपीडीआईएल, सिंगरैनी, सेल समेत अन्य कंपनियों व संस्थानों के प्रतिनिधियों के सामने ट्रायल किया गया। प्रो. उपेन्द्र कुमार सिंह के नेतृत्व में प्रो. धीरज कुमार व प्रो. काशीनाथ कुमार की टीम ने यह मशीन तैयार किया है। अब खदानों से कोयला उत्पादन के बाद उक्त स्थान पर बालू के बदले खदान से निकला वेस्ट मैटेरियल यानी ओबी में मौजूद मैटेरियल को ही डस्ट बनाकर भराई की जा सकती है। यह बालू की तुलना में अधिक मजबूती देगा।

प्रो. धीरज कुमार सिंह ने बताया कि कुछ सुझाव भी आए हैं। उसे हमलोग रोबोटिक के रूप में तैयार करेंगे। यह रिमोट कंट्रोल से काम करेगा। अब हमलोग कोल इंडिया से एक माइंस की मांग करेंगे। वहां पर काम करके दिखाएंगे। उम्मीद है वहां भी यह पूरी तरह से सफल होगा। अभी तक इस मशीन की लागत सात लाख रुपए है। अगर फील्ड में लागत बढ़ेगी भी तो बहुत अधिक बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। यह कोयला सेक्टर के लिए उपयोगी साबित होगा। इस मौके पर माइनिंग इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. वीएमएसआर मूर्ति, एनएमडीसी चेयरमैन प्रो. ओमप्रकाश समेत अन्य शिक्षाविद व विशेषज्ञ मौजूद थे।

---

क्या है डीसीएफ

कोयला उत्पादन के दौरान खदानों के ईद-गिर्द जमा ओवर बर्डन (ओबी) में मौजूद मैटेरियल का उपयोग अब खदानों की भराई में की जाएगी। यह काम डीसीएफ मशीन की ओर से किया जाएगा। अब तक खदानों में बालू से भराई की जाती है। डीसीएफ ओबी में मौजूद पत्थर समेत अन्य मैटेरियल को पहले डस्ट बनाएगा। इसमें फ्लाई ऐश, रिवर स्टोन व अन्य मैटेरियल का भी उपयोग किया जा सकता है। उसके बाद यह मशीन 40 से 60 किमी की रफ्तार से खाली जगहों को भर देगी। इससे खाली जगहों की मजबूती व ठोस भराई फिलिंग होगी। यह बहुत उपयोगी साबित होगी। रेल लाइन से लेकर हाईवे के नीचे से भी कोयला निकालकर उसकी भराई की जा सकती है। रेल लाइन या हाईवे को इससे कोई नुकसान नहीं होगा। शर्त यही है कि उस जगह पर आग नहीं हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें