अपहर्ताओं के चंगुल से मुक्त हुआ दुमका का मासूम अंशु
झारखंड के दुमका का तीन वर्षीय अनिश मंडल उर्फ अंशु रविवार की दोपहर अपहर्ताओं के चंगुल से मुक्त हो गया। पुलिस का कहना है कि पकड़े जाने के डर से अपराधियों ने उसे छोड़ दिया। वहीं क्षेत्र में चर्चा है कि...
झारखंड के दुमका का तीन वर्षीय अनिश मंडल उर्फ अंशु रविवार की दोपहर अपहर्ताओं के चंगुल से मुक्त हो गया। पुलिस का कहना है कि पकड़े जाने के डर से अपराधियों ने उसे छोड़ दिया। वहीं क्षेत्र में चर्चा है कि परिजनों से फिरौती देकर बच्चे को छुड़ाया है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
कैसे हुआ था अपहरण
दुमका-देवघर सीमा स्थित तालझरी थाना के बूढ़ी कुरवा गांव निवासी श्रीकांत मंडल का तीन वर्षीय बेटा अंशु शुक्रवार शाम खेल रहा था। इसी बीच एक बाइक पर सवार तीन अपराधी उसे उठाकर ले गए। परिजनों ने काफी खोजबीन के बाद उसी रात 11 बजे तालझरी थाना प्रभारी पूनम टोप्पो को इसकी सूचना दी। पूनम ने उसी दिन तालझरी थाने का प्रभार संभाला था। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए देवघर-दुमका एसपी को खबर की। दोनों जिलों की पुलिस ने अपराधियों की खोज में दबिश बढ़ा दी। इसके बावजूद शनिवार तक बच्चे का कोई सुराग नहीं मिला। शनिवार को पिता श्रीकांत मंडल को फोन कर अपराधियों ने बताया कि बच्चा उनके कब्जे में है।
अगर सही-सलामत चाहिए, तो तीन लाख रुपए देने होंगे। श्रीकांत छोटे किसान होने के साथ साइकिल पर टॉर्च-बैट्री आदि सामान बेचते हैं। इतने पैसे का इंतजाम करना उनके लिए संभव नहीं था। लिहाजा उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस हरकत में आई और अपराधियों के फोन को ट्रेस कर उसके लोकेशन पर छापेमारी शुरू कर दी गई। इससे अपहर्ता दबाव में आ गए। रविवार को दोपहर एक बजे के करीब अपराधियों ने श्रीकांत को फिर फोन किया। बताया कि तुम्हारा बच्चा दुमका गांधी मैदान के पास एक सैलून में है। आकर ले जाओ। सूचना पर वहां पहुंचे श्रीकांत को उनके जिगर का टुकड़ा मिल गया।
मामले में पुलिस का कहना है कि दबिश और पकड़े जाने के डर से अपहर्ताओं ने बच्चे को मुक्त कर दिया। वहीं क्षेत्र के लोगों में चर्चा है कि परिजनों ने डेढ़ लाख रुपए की फिरौती देकर बच्चे को अपहर्ताओं के चंगुल से मुक्त कराया है। हालांकि इसकी पुष्टि न पुलिस कर रही है न परिजन। बच्चे की उम्र तीन वर्ष है। इससे वह भी कुछ बता नहीं पा रहा है।