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कन्नौज में गंगा नहाने गए पांच युवक डूबे, दो लापता

टाटा मोटर्स में स्थायी कर्मचारी धीरेंद्र कुमार की गुरुवार सुबह ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। कंपनी में पांच दिन के अंदर कर्मचारी की मौत की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 8 अप्रैल को टीएमएल ड्राइव लाइन में...

कन्नौज में गंगा नहाने गए पांच युवक डूबे, दो लापता
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 13 Apr 2017 11:51 PM
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टाटा मोटर्स में स्थायी कर्मचारी धीरेंद्र कुमार की गुरुवार सुबह ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। कंपनी में पांच दिन के अंदर कर्मचारी की मौत की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 8 अप्रैल को टीएमएल ड्राइव लाइन में कार्यरत अप्पू कुमार की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई थी।

धीरेन की पत्नी पुनीता देवी का आरोप है कि उनके पति बुधवार को बी शिफ्ट की ड्यूटी कर रात पौने ग्यारह बजे घर लौटे थे। लेकिन, गुरुवार सुबह सात बजकर 25 मिनट पर उनके अधिकारी का मोबाइल पर फोन आया और उन्हें बी शिफ्ट के बजाय जनरल शिफ्ट में ड्यूटी पर बुला लिया। आनन-फानन में चाय-नाश्ता करके वे ड्यूटी पर पहुंचे। थोड़ी देर बाद ही कंपनी से फोन आया कि आपके पति का ब्लड प्रेशर लो हो गया है। जल्दी टाटा मोटर्स अस्पताल पहुंचें। वहां पहुंचे तो सभी ने बताया कि उनके पति की मौत हो गई है।

धीरेंद्र 2008-09 में हुए थे स्थायी

धीरेंद्र टाटा मोटर्स में वर्ष 2008-09 में स्थायी हुए थे। इससे पहले उन्होंने तेरह वर्षों तक बतौर बाई-सिक्स कर्मचारी काम किया। वर्तमान में धीरेंद्र जमशेदपुर प्लांट के ऑटो ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में कार्यरत थे।

पौने नौ बजे हुई घटना

धीरेंद्र सुबह साढ़े आठ बजे कंपनी के मुख्य गेट पर पंच कर सौ मीटर दूर स्थित अपने विभाग की ओर पैदल ही बढ़ रहे थे। इसी दौरान वे जमीन पर गिर पड़े। कर्मचारियों ने उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया। जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कंपनी प्रबंधन ने अपने कर्मचारी की मौत पर दुख व्यक्त किया है।

गलत नीतियों को बताया जिम्मेदार

परिजनों ने धीरेंद्र की मौत के लिए प्रबंधन की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, अप्पू दत्ता की तरह इस बार भी प्रबंधन का यही कहना है कि धीरेंद्र हृदय संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और हार्ट अटैक से उनकी मौत हुई है। धीरेंद्र का शव अस्पताल के शीतगृह में रखा हुआ है।

अप्पू जैसी ही कहानी

कंपनी में पांच दिन की ड्यूटी के दौरान यह दूसरी मौत है। कंपनी के कर्मचारी व मृतक के परिजन इसके लिए प्रबंधन की नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। टीएमएल ड्राइव लाइन में कार्यरत अप्पू पहले फोर्ज डिवीजन के फ्रंट एक्सल में कार्यरत थे। अचानक उनकी ड्यूटी बदलकर एक्सल में कर दी गई। वहां ड्यूटी खत्म करने से पहले ही उनकी मौत हो गई। वहीं, धीरेंद्र कुमार बुधवार को बी शिफ्ट ड्यूटी करने के बाद भी गुरुवार को जनरल शिफ्ट की ड्यूटी पर बुला लिया गया।

प्रबंधन का आईओडी देने से इनकार

घटना की सूचना मिलने के बाद टेल्को वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष अमलेश कुमार, महासचिव प्रकाश कुमार समेत कई ऑफिस बियरर अस्पताल पहुंचे। डॉ. एम. अली के ऑफिस में वार्ता के दौरान यूनियन नेतृत्व ने धीरेंद्र को इंजरी ऑन डेथ (कार्यस्थल में मौत-आईओडी) देने की मांग की। लेकिन, प्रबंधन ने इससे इनकार कर दिया। ऐसे में यूनियन नेतृत्व ने कड़े तेवर अपनाते हुए कहा कि मजाक हो गया है। कर्मचारी ड्यूटी के दौरान मर रहे हैं और प्रबंधन कभी मिर्गी तो कभी हार्ट अटैक बताकर पल्ला झाड़ लेता है। इसके बाद यूनियन नेता कंपनी के वरीय अधिकारियों से मिलने जनरल ऑफिस चले गए।

परिजनों से धक्का-मुक्की, थाने में शिकायत

घटना की सूचना मिलने पर अस्पताल पहुंचे धीरेंद्र के परिजनों की निजी सुरक्षाकर्मियों से बकझक हो गई। धीरेंद्र के शव को आईसीयू में रखा गया था। परिवारवाले प्रबंधन से मुआवजे की मांग कर रहे थे। इस दौरान निजी सुरक्षाकर्मी प्रदीप झा और विशाल समेत बीस अन्य ने उनके साथ हाथापाई करते हुए अभद्र व्यवहार किया। इस दौरान आईसीयू में लगा कांच का गेट भी टूट गया। धीरेंद्र के भतीजे अशोक सिंह ने इसकी लिखित शिकायत टेल्को थाने में की है।

अकेले कमाने वाले थे धीरेंद्र

धीरेंद्र अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। टेल्को कॉलोनी के रोड नंबर 26 स्थित के-2/07 क्वार्टर में रहने वाले धीरेंद्र अपने पीछे पत्नी पुनीता देवी और दो बच्चे छोड़ गए हैं। उनकी बड़ी बेटी जागृति 11 साल और छोटा बेटा प्रभात आठ वर्ष के हैं। दोनों बच्चे टेल्को के वैली व्यू स्कूल में क्रमश: पांचवीं और दूसरी क्लास में पढ़ते हैं। धीरेंद्र की एक बूढ़ी मां है, जबकि पिता रामानंद सिंह का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है।

बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल

धीरेंद्र की जब मौत की खबर आई तो उनके दोनों बच्चे स्कूल में थे। परिजन उन्हें यह कहकर अस्पताल लेकर आए कि उनके पिता की तबीयत ठीक नहीं है। अस्पताल पहुंचने पर जब उन्हें मालूम पड़ा कि उनके सिर से पिता का साया उठ गया है, तब से बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है।

अधिकारी बोले अपशब्द, मामला बिगड़ा

डॉ. एम. अली के ऑफिस में जब यूनियन और परिजन आपस में मुआवजे और आईओडी की बातचीत कर रहे थे, तभी कंपनी के एक वरीय अधिकारी ने परिजनों से कुछ अपशब्द कहा। इस कारण मामला बिगड़ गया। तनाव बढ़ता देखकर उक्त अधिकारी को वहां से हटाया गया, जिसके बाद परिजन शांत हुए।

प्रबंधन का कहना है धीरेंद्र 13 अप्रैल को ड्यूटी पर आए थे, लेकिन अपने कार्यस्थल पर रिपोर्ट नहीं कर पाए थे, जो मुख्य गेट से सौ मीटर की दूरी पर स्थित है। अपने विभाग में जाने के क्रम में धीरेंद्र नीचे गिर गए। तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचा गया। प्रारंभिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। धीरेंद्र शुगर, उच्च रक्तचाप और ह्दय रोग से पीड़ित थे।

-प्रवक्ता, टाटा मोटर्स

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