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मकर संक्रांति पर नदी में स्नानकर तिल और गुड़ किया दान

सरायकेला में मकर संक्रांति का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर खरकई नदी में लोगों ने स्नानकर तिल और गुड़ का दान किया। दान के बाद घर में पूजा-अर्चना की और दही-चूड़ा का भोजन किया। इस...

मकर संक्रांति पर नदी में स्नानकर तिल और गुड़ किया दान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 14 Jan 2017 11:00 PM
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सरायकेला में मकर संक्रांति का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर खरकई नदी में लोगों ने स्नानकर तिल और गुड़ का दान किया। दान के बाद घर में पूजा-अर्चना की और दही-चूड़ा का भोजन किया। इस पर्व में तिल और गुड़ का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति से जुड़ी मान्यता है कि इस अवसर पर सूर्य उत्तरायण दिशा में होते हैं। इसमें दान महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए मकर संक्रांति के अवसर पर सारे लोग दान करते हैं। इससे सुख-शांति और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। इस त्योहार में लोगों को घर में दही-चूड़ा खिलाया जाता है। सरायकेला के ग्रामीण इलाकों में मकर की धूम रही। इस अवसर पर खास पकवान पीठा और मांस बनाया गया। ग्रामीणों ने आसपास के लोगों को मांस और पीठा खिलाया और मकर की बधाई दी। मकर के मौके पर गांव के लोगों ने नये कपड़े पहने और खूब मांस और पीठा का आनंद लिया। ग्रामीण इलाकों में सुबह से महिलाएं पीठा और मांस बनाने की तैयारी जुट गयीं। सरायकेला में मकर के मौके पर बकरों की बलि दी गयी। सुबह चार बजे से ही सरायकेला बाजार में बकरे वाले पहुंच गये। बकरे की बलि देने के बाद मांस के ग्राहकों की भीड़ लग गयी। जैसे-जैसे समय बीतता गया खरीदारों की भीड़ बढ़ती गयी। दस बजे तक मांस की दुकानों पर काफी भीड़ लगी रही। सरायकेला के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मांस और पीठा अनिवार्य रूप से बनता है, इसलिए सरायकेला में मकर के दिन बकरे की बलि सामान्य दिनों की तुलना में चार गुणा अधिक हो जाती है।

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