आयफर-बायफर समाप्त, लटका इंकैब कंपनी का मामला
बोर्ड फॉर इंडस्ट्रीयल एंड फाइनेंसियल रि-कंस्ट्रक्शन (बायफर) और अपीलेट ऑथिरटी फॉर इंडस्ट्रीयल एंड फाइनेंसियल रि-कंस्ट्रक्शन (आयफर) का अस्तित्व एक दिसंबर को खत्म हो गया। इस कारण इंडियन केबल कंपनी...
बोर्ड फॉर इंडस्ट्रीयल एंड फाइनेंसियल रि-कंस्ट्रक्शन (बायफर) और अपीलेट ऑथिरटी फॉर इंडस्ट्रीयल एंड फाइनेंसियल रि-कंस्ट्रक्शन (आयफर) का अस्तित्व एक दिसंबर को खत्म हो गया। इस कारण इंडियन केबल कंपनी लिमिटेड (इंकैब) के टाटा स्टील द्वारा अधिग्रहण का मामला अगले कुछ महीनों के लिए फिर से टल गया है।
अब इन दोनों संस्थाओं की जगह नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल लेगा। मगर अभी इसका गठन नहीं हुआ है। अनुमान है कि एक महीने में यह अस्तित्व में आ जाएगा। इसके बाद इनमें चल रहे मामलों की सुनवाई शुरू होगी। मगर इंकैब के मामले की सुनवाई में कम से कम तीन-चार महीने तो लग ही जाएंगे। यह जानकारी दि इंडियन केबुल वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राम विनोद सिंह ने गुरुवार को दी।
गजट का भी प्रकाशन : उन्होंने दावा किया कि एक दिसंबर से इन दोनों संस्थाओं का अस्तित्व खत्म होने की पक्की सूचना है। यही नहीं इसका गजट प्रकाशन भी हो चुका है और अधिसूचना भी जारी हो गई है। सिंह ने बताया कि यह थोड़ा निराशाजनक है, क्योंकि इंकैब के खुलने की उम्मीद बांधे कर्मचारियों की प्रतीक्षा थोड़ी और लंबी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि फाइनल डीआरएस बायफर में जमा हो चुका था। अब इस पर कंपनी, बैंकर, वित्तीय संस्थान, राज्य सरकार और मजदूरों की बात सुनी जानी थी।
जज का नहीं होना देरी का कारण : पहले टाटा स्टील द्वारा अधिग्रहण पर हाईकोर्ट की रोक लगी थी। इस साल छह जनवरी को यह रोक हटा ली गई थी और बायफर में इसकी सुनवाई होनी थी। मगर वहां कोई जज नहीं होने से सुनवाई नहीं हो सकी। अब बायफर व आयफर का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है।