आदित्यपुर के 105 उद्योगों पर मंडरा रहा बंदी का खतरा
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में 90 एकड़ जमीन पर बने 105 उद्योगो का भविष्य अब अंधकारमय हो गया है। ये ऐसी कंपनियां हैं, जिन्हें आयडा ने जमीन तो दे दी, लेकिन इस भूखंड का डी-नोटिफिकेशन वन विभाग से नहीं हो...
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में 90 एकड़ जमीन पर बने 105 उद्योगो का भविष्य अब अंधकारमय हो गया है। ये ऐसी कंपनियां हैं, जिन्हें आयडा ने जमीन तो दे दी, लेकिन इस भूखंड का डी-नोटिफिकेशन वन विभाग से नहीं हो पाया। लिहाजा, इन्हें लीज मिल ही नहीं पायी। इस वजह से बैंक इन उद्योगों को ऋण नहीं दे पाये। वर्तमान स्थिति मानें तो इस भूखंड पर बने गई उद्योग अब बंदी के कागार पर पहुंच चुके हैं। मामले को लेकर औद्योगिक संगठनों द्वारा कई बार आवाज बुलंद की गयी, लेकिन स्थिति अब भी जस की तस बनी हुई है। वहीं, मामले को लेकर आयडा सचिव हरि कुमार केसरी ने बताया कि मामले के प्रति आयडा गंभीर है। कार्रवाई चल रही है। आयडा को वन विभाग की 12 सौ एकड़ जमीन उद्योग के लिए हस्तांतरित की गयी थी। इसमें नौ सौ एकड़ जमीन का डी-नोटिफिकेशन हो गया। वन संरक्षण अधिनियम 1980 लागू होने से तीन सौ एकड़ जमीन का डी-नोटिफिकेशन ही नहीं हो पाया। आयडा द्वारा 90 एकड़ जमीन का आवंटन किया जा चुका था। इसमें 105 कंपनियां लगी हैं। बहुत सी ऐसी कंपनियां हैं, जिसके कुछ अंश उक्त भूखंड में चले गये। इस वजह से भी उनकी जमीन को लीज नहीं मिल पायी। उक्त भूखंड को वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अंतर्गत डी-नोटिफिकेशन करना है। इसको लेकर वन विभाग द्वारा आयडा सचिव और आयडा एमडी को कई बार पत्राचार किया जा चुका है। इसमें दोगुनी जमीन जुर्माने की साथ आयडा से मांगी गयी है। इसके बाद ही उक्त भूखंडों का डी-नोटिफिकेशन हो पायेगा। डीएफओ एलिएस एक्का ने कहा कि मामले को लेकर कई बार आयडा सचिव और आयडा एमडी से पत्राचार किया गया है, लेकिन कोई जवाब अब तक नहीं प्राप्त हुआ है। लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष रूपेश कतरियार ने कहा कि मामला काफी गंभीर है। हम लोगों ने बार-बार मांग भी की है कि उक्त भूखंडों का डी-नोटिफिकेशन किया जाए। अब तक यह ठंडे बस्ते में है। इससे औद्योगिक संकट गहराता जा रहा है।