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लोग इसे कहते हैं 'नरक का दरवाज़ा', 45 सालों से लगी हुई है आग!

लोग इसे कहते हैं 'नरक का दरवाज़ा' दुनिया में कई ऐसी जगह मौजूद हैं जिन्हें अजूबों की श्रेणी में रखा जाता है। तुर्कमेनिस्तान में भी एक ऐसी ही जगह मौजूद है जिसे 'नरक का दरवाज़ा' कह

लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 20 Dec 2016 12:40 PM

लोग इसे कहते हैं 'नरक का दरवाज़ा'

दुनिया में कई ऐसी जगह मौजूद हैं जिन्हें अजूबों की श्रेणी में रखा जाता है। तुर्कमेनिस्तान में भी एक ऐसी ही जगह मौजूद है जिसे 'नरक का दरवाज़ा' कहा जाता है। ये असल में एक गड्ढा है जिसमें पिछले 45 सालों से लगातार आग जल रही है। ये 'डोर टू हेल' (नरक का दरवाजा) राजधानी अश्गाबात से 260 किलोमीटर उत्तर में काराकुम रेगिस्तान के दरवेज (Darvaza) गांव में मौजूद है। हालांकि वक़्त के साथ-साथ ये जगह अब टूरिस्ट स्पॉट बन चुकी है। 

 

क्या है आग जलने के पीछे की वजह
ये तुर्कमेनिस्तान का रेगिस्तान है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का भंडार भी माना जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पूरे रेगिस्तान में जगह-जगह गैस का रिसाव होता रहता है। यहां मौजूद मिथेन गैस के विशाल भंडार का इस्तेमाल करने के लिए 1971 में सोवियत संघ के वैज्ञानिकों ने यहां ड्रिलिंग की थी। ज्यादा से ज्यादा गैस निकालकर जमा करने की होड़ में एक दिन यहां विस्फोट हुआ, जिससे बड़ा क्रेटर बना। साथ ही, जहरीली गैस का रिसाव शुरू हो गया।

हादसे में कोई घायल नहीं हुआ था। रूसी वैज्ञानिकों ने हादसे के बाद मिथेन गैस को वायुमंडल में फैलने से रोकने के लिए आग लगा दी। उसी समय से यह आग लगातार जल रही है। जिस गड्ढे में आग जल रही है, वह 229 फीट चौड़ा है और इसकी गहराई तकरीबन 65 फीट है। इस रेगिस्तान में उठती आग की लपटों को दरवेज गांव से भी देखा जा सकता है।

अगली स्लाइड में जानिए कौन इस गड्ढे में भी उतर चुका है...

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पहली बार उतरे थे जॉर्ज कोरोनिस

कनाडा के रहने वाले जॉर्ज कोरोनिस वो पहले शख्स हैं, जो काराकुम रेगिस्तान में जल रहे इस गड्ढे में उतर चुके हैं। जॉर्ज ने इस क्रेटर में अपनी यात्रा की तस्वीरें हाल ही में जारी की थीं। उन्होंने कहा था कि एक हजार सेल्सियस तापमान पर जल रहे 100 फीट गहरे क्रेटर की सतह में जाने का अनुभव लाजवाब रहा।

गौरतलब है कि तुर्कमेनिस्तान का 70 परसेंट एरिया रेगिस्तान ही है। पूरा तुर्कमेनिस्तान पांच राज्यों में बटा है और इसका दूसरा सबसे बडा राज्य अहल वेलायत (Ahal Welayat) है जो पूरा ही रेगिस्तान है। यहां पर पुरे तुर्कमेनिस्तान की सिर्फ 14 परसेंट आबादी रहती है।

अगली स्लाइड में पढ़िए चीन में भी मिला था ऐसा ही गड्ढा...

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चीन में भी मिला आग से धधकता गड्ढा!

बता दें कि ऐसा ही आग से दहकता एक गड्ढा चीन के पहाड़ी इलाके में मिला है। शिनजियांग प्रांत के उरूमकी के पहाड़ी इलाके में कुछ हफ्ते पहले ये गड्ढा देखा गया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, दो मीटर की दूरी से इस गड्ढे का तापमान 792 डिग्री सेल्सियस मापा गया है। तेज गर्मी के चलते एक्सपर्ट इसके बहुत करीब नहीं जा सके और इसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सका।

वीडियो फुटेज और तस्वीरों में जमीन में बना ये आग का गोला 3 फीट चौड़ा नजर आ रहा है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट रही है। शिनजियांग मेटियन जियोलॉजिकल ब्यूरो के एक्सपर्ट का मानना है कि इस गड्ढे में जमीन के नीचे कोयले की परतों के चलते खुद ब खुद लगी होगी, जिसकी वजह से जमीन की ऊपरी परत ढह गई। वहीं शिनजियांग मेटियन फायर इंजीनियरिंग ब्यूरो के चेन लॉन्ग ने बताया कि 1970 में इस इलाके में दर्जनों छोटी कोयले की खदानें हुआ करती थीं।

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