2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर का हरित जलवायु कोष बनाएं जी-20 देशः पीएम मोदी
भारत ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों में विकास के दौरान स्वच्छ ऊर्जा हासिल करने के लिए 100 अरब डॉलर की वित्तीय और प्रौद्योगिकी मदद की व्यवस्था करने को कहा। भारत ने इस प्रस्ताव को...
भारत ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों में विकास के दौरान स्वच्छ ऊर्जा हासिल करने के लिए 100 अरब डॉलर की वित्तीय और प्रौद्योगिकी मदद की व्यवस्था करने को कहा। भारत ने इस प्रस्ताव को भी आगे बढ़ाया कि सौर ऊर्जा संपन्न देश इसे लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा, 'यहां जी-20 में शोध एवं विकास के जरिए हम सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि स्वच्छ ऊर्जा पाने की वैश्विक इच्छा के अनुरूप हम वित्त और प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराएं। इसके लिए हमें 2020 तक सालाना 100 अरब डॉलर का लक्ष्य हासिल करना ही होगा।''
मोदी ने कहा कि भारत पर्यावरण अनुकूल विश्व के निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए रजामंदी जता चुका है। इसके तहत भारत में साल 2022 तक अक्षय ऊर्जा में 175 गीगावाट की अतिरिक्त क्षमता जोड़ी जाएगी, जीवाश्म ईंधन पर अनुदान को कम किया जाएगा, कोयले के इस्तेमाल पर कर लगाया जाएगा और स्वच्छ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए तीन अरब डॉलर का राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष स्थापित किया जाएगा।
मोदी ने कहा कि पेरिस में प्रस्तावित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिए भारत ने पहले से ही अगले 15 सालों में गैस उत्सर्जन को 33 से 35 फीसदी घटाने का वादा किया है। यह देश के अपने स्थाई विकास के साथ विश्व पर्यावरण के लिए किया गया संतुलित वादा है।
मोदी ने कहा, ''हमें कार्बन क्रेडिट से ग्रीन क्रेडिट की तरफ जाना होगा। जब हम लक्ष्य की बात करते हैं तो हमें सिर्फ जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को ही कम नहीं करना चाहिए, बल्कि अपनी जीवनशैली को भी थोड़ा सादा करना चाहिए। मैं पेरिस सम्मेलन में सौर ऊर्जा संपन्न देशों के सामने प्रकृति से तालमेल बैठाते हुए विकास के प्रस्ताव रखूंगा।''
भारत का प्रस्ताव है कि सौर ऊर्जा से संपन्न 125 देश एक 'इंटरनेशनल एजेंसी फॉर सोलर टेक्नोलॉजीज एंड एप्लीकेशन' बनाएं और स्वच्छ ऊर्जा देने की दिशा में काम करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने आकार और परिमाण की वजह से भारत वैश्विक विकास और स्थायित्व का स्तंभ हो सकता है।
मोदी ने कहा, ''भारत के विकास लक्ष्य, स्थाई विकास लक्ष्य (एसडीजी) के अनुरूप हैं।''
उन्होंने कहा, ''हम अपने युवाओं को रोजगार देने के लिए विकास को बढ़ावा दे रहे हैं और कौशल में निवेश कर रहे हैं। आधारभूत ढांचे की गति और गुणवत्ता को बढ़ा रहे हैं और कृषि को अधिक उत्पादक और लचीला बनाने में निवेश कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय कार्यक्रम है। उन्होंने कहा, ''अपने लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए हमारे पास तयशुदा तारीखें हैं। बड़े आर्थिक और शासकीय सुधारों के जरिए हमने 7.5 फीसदी की विकास दर पाई है। भविष्य में इससे भी बेहतर दर हासिल करने की संभावना है।''