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नेपाल: बिजली, पानी और भोजन को लेकर हाहाकार

नेपाल में प्राकृतिक आपदा के बाद मानवीय संकट पैदा हो गया है। इस अप्रत्याशित संकट के बाद काठमांडू और भूकंप प्रभावित पोखरा जैसे इलाकों में बिजली, पानी और भोजन का संकट पैदा हो गया है। नेपाल सरकार ने इसे...

नेपाल: बिजली, पानी और भोजन को लेकर हाहाकार
एजेंसीMon, 27 Apr 2015 11:26 AM
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नेपाल में प्राकृतिक आपदा के बाद मानवीय संकट पैदा हो गया है। इस अप्रत्याशित संकट के बाद काठमांडू और भूकंप प्रभावित पोखरा जैसे इलाकों में बिजली, पानी और भोजन का संकट पैदा हो गया है। नेपाल सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के साथ भूकंप प्रभावित सभी 29 जिलों को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया है लेकिन भूख-प्यास से बेहाल लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। लगातार दूसरे दिन भूकंप के झटकों से दहशत की मारे हजारों की भीड़ मैदानों और सड़कों पर ही भोजन और पानी के लिए हाथ-पैर मार रही है।

नेपाल सरकार ने एक हफ्ते के लिए अवकाश घोषित कर दिया है। लेकिन बाजार पूरी तरह बंद होने से भोजन, पानी और अन्य आवश्यक सामग्री की किल्लत पैदा हो गई है। खासकर भारत और अन्य देशों के हजारों पर्यटकों को खासी दिक्कतें ङोलनी पड़ रही हैं। स्वदेश वापसी के लिए सरकार के इंतजामों की सूचना के बाद त्रिभुवन एयरपोर्ट पर सैकड़ों की तादाद में भारतीय डेरा डाले हैं ताकि वे परिवार समेत घर पहुंच सकें। भारत और अन्य देशों ने राहत सामग्री के साथ भोजन और पानी की आपूर्ति भी की है। चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों ने भी राहत भेजी है लेकिन आपदा की गंभीरता को देखते हुए मौजूदा इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।

मैदानों में मेले जैसे नजारा
धरती में लगातार हो रहे कंपनों से खौफजदा हजारों लोग घरों में नहीं लौटना चाहते। पर्यटकों से भरे रहने वाले होटलों और धर्मशालाओं का भी यही हाल है। हजारों की तादाद में लोग टुंडीखेल, सिंह दरबार, खुला मंच, संविधान सभा परिसर और सब्जी के बाजारों में टिके हैं। मदद की आस में बैठे हजारों लोगों ने शनिवार की काली रात फुटपाथ, मैदानों और वीरान सड़कों पर ही चटाई और बिस्तर बिछाकर रात बिताई। बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से यहां आकर कारोबार कर रहे सैकड़ों भारतीय भी वापस लौटना चाहते हैं, उनका कहना है कि फिलहाल तो वह किसी भी सूरत में नेपाल में नहीं रहना चाहते।

सड़कों पर चल रहे अस्पताल
भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा कि काठमांडू के किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं बची है। अस्पताल और आसपास के परिसरों की फर्शो पर ही मरीज का इलाज चल रहा है। नेपाल के गृह मंत्री लक्ष्मी प्रसाद ढकल ने कहा है कि हजारों घरों और इमारतों के ध्वस्त होने के कारण मृतकों की तादाद 2263 से कहीं ज्यादा हो सकती है। सड़कों के बीच बड़े गड्ढे होने के कारण राहत सामग्री लेकर वाहन भी हर जगह पहुंच नहीं पा रहे। सेव द चिल्ड्रेन के अधिकारी पीटर ओलेल ने कहा कि अस्पतालों में शवों को भी रखने की जगह नहीं बची है।

हाथों से मलबा साफ कर रहे बचावकर्मी
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा को लेकर नेपाल कितना तैयार था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बचावकर्मी हाथों से मलबे की सफाई करनी पड़ रही है। काठमांडू के सातल चौक पर एक सात मंजिला इमारत पूरी तरह धराशायी होने से 80 लोग दबकर मर गए। परेशान लोग मंदिरों, चर्चो में प्रार्थना कर रहे हैं। हालांकि एक ही जगह सबसे ज्यादा मौतों का दर्दनाक वाकया तो धरहरा में ही देखने को मिला। भारतीय मौसम विभाग के प्रमुख एलएस राठौर ने कहा कि अभी कितने झटके आएंगे, कुछ नहीं कहा जा सकता, लिहाजा अगले कुछ दिनों तक सावधान रहना होगा।

शहर में गिरी एक तीन मंजिला इमारत से बचाव कार्य में लगे नेपाल के सैन्य अधिकारी संतोष नेपाल ने कहा कि पुराने शहर की संकरी गलियों तक बुलडोजर, क्रेन और अन्य भारी वाहन नहीं पहुंच सकते। लिहाजा बड़े हथौड़ों की मदद से ही ध्वस्त इमारतों का मलबा साफ किया जा रहा है ताकि अभी भी मौत से जूझ रहे लोगों को बचाया जा सके। त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग हास्पिटल में तैनात पुलिस अधिकारी सुदान श्रेष्ठ ने कहा कि हम थके हैं, आंखें पथरा गई हैं लेकिन मौतों का ऐसा मंजर देखकर हम रुक नहीं सकते।

 

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