
अपनी आजादी के लिए लड़ रहा है बलूचिस्तान
ऐसा नहीं है कि बलूचिस्तान से आजादी की मांग पहली बार उठी है। बलूच लोग अपनी आजादी के लिए लंबे वक्त से संघर्ष कर रहे हैं। पाकिस्तान की सेना के अत्याचारों से त्रस्त ये इलाका विकास से दूर है। चलिए समझने की कोशिश करते हैं यह पूरा मामला-
1948 में कलात के स्वायत्तशासी बलूचिस्तान पर पाकिस्तानी कब्जे के बाद से ही आजादी के लिए लगातार विद्रोह होते रहे हैं। अभी यह राज्य पाकिस्तान और ईरान के बीच बंटा है। पाकिस्तानी के हिस्से वाले बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा है। यहां होने वाले विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तान लगातार सैन्य अभियान चलाता रहा है। 1948, 1958-59, 1962-63 और 1973-77 में ये अभियान चलाए।
बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराने की मांग लगातार उठती रही है। आजादी के लिए कई हथियारबंद अलगाववादी समूह बलूचिस्तान में सक्रिय हैं। इनमें प्रमुख हैं बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और लश्कर-ए-बलूचिस्तान। पाकिस्तानी सरकार पर लगातार बलूच आंदोलन को योजनाबद्ध ढंग से दबाने और बलूचियों की मांग को दरकिनार करने के आरोप लगते रहे हैं। पाकिस्तान ने हजारों बलूचियों को नजरबंद किया। सेना और सरकारी नौकरियों में बलूचियों के प्रवेश पर रोक लगाई। लोकतांत्रिक बलूच नेताओं की हत्या करवाई।