अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, ईरान संग समझौते से दुनिया और सुरक्षित हुई
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके और छह महाशक्तियों के बीच हुए समझौते का अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वागत किया है। ओबामा ने कहा है कि इससे अमेरिका सहित पूरी दुनिया अधिक सुरक्षित हुई है और...
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके और छह महाशक्तियों के बीच हुए समझौते का अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वागत किया है। ओबामा ने कहा है कि इससे अमेरिका सहित पूरी दुनिया अधिक सुरक्षित हुई है और यह समझौता केवल विश्वास पर नहीं, बल्कि निरीक्षण से प्राप्त तथ्यों पर आधारित है।
समझौते के बाद व्हाइट हाउस में मीडिया को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, अमेरिका ने अपने प्रभाव और सिद्धांत के आधार पर वार्ता की और पश्चिम एशिया में परमाणु प्रसार को रोकने में कामयाब हुआ। इस समझौते से अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय पुष्टि कर सकता है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि इस समझौते से ईरान के परमाणु संयंत्रों में पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण संभव होगा, जो क्षेत्र को परमाणु मुक्त बनाए रखने लिए आवश्यक है।
ओबामा ने कहा कि इस समझौते से सुनिश्चित हो गया है कि पश्चिम एशिया में परमाणु हथियार का प्रसार नहीं होगा। ईरान अपने दो तिहाई सेंट्रीफ्यूज को बंद करने पर सहमत हो गया है। वह अपने 98 फीसदी परिष्कृत परमाणु ईंधन को भी ठिकाने लगाएगा। इस समझौते की वजह से ईरान अरक स्थित परमाणु रिएक्टर में भी बदलाव करेगा, ताकि उससे प्लूटोनियम का उत्पादन नहीं हो, जिसका इस्तेमाल बम बनाने में किया जाता है। इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस को चेतावनी दी कि अगर वह इस समझौते को बाधित करने की कोशिश करेगी, तो वह अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
इजरायल ने किया विरोध
इजरायल ने इस समझौते का विरोध किया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा कि विश्व के प्रमुख देशों और ईरान के बीच हुआ ताजा समझौता ऐतिहासिक गलती है। उन्होंने कहा, आप उस स्थिति में समझौते को नहीं रोक सकते जब उसके लिए बातचीत कर रहे लोग उन्हें अधिक रियायत देने को तैयार हों। नेतान्याहू ने कहा, ईरान को अरबों डॉलर मिलेंगे जिससे वह अपने आंतकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सफल होगा।
भारत के लिए फौरी फायदा
ईरान के साथ हुए समझौते के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट से भारत को फौरी फायदा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईरानी तेल की आपूर्ति बढ़ने की संभावना के बीच तेल की कीमतों में एक डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। इससे भारत सस्ते दाम पर तेल का आयात कर सकेगा जिसका सीधा फायदा ग्राहकों को होगा। लेकिन ईरान को प्रतिबंधों से मिली छूट लंबे समय में भारत के लिए चुनौती पेश कर सकती है। तेल कीमतों में गिरावट से भारतीय तेल कंपनियों के मुनाफे में भारी गिरावट आने की संभावना है। इसके साथ ही अब भारत को ईरानी तेल के लिए डॉलर में भुगतान करना होगा। भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। पेट्रोलियम मंत्रालय को डर है कि प्रतिबंधों में छूट मिलने के बाद ईरान फरजाद तेल क्षेत्र को विकसित करने का ठेका यूरोपीय कंपनियों को दे सकता है।