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आयुर्वेद से ठीक करें जॉन्डिस और हेपेटाइटिस-B को

जॉन्डिस और हेपेटाइटिस -बी धीरे-धीरे महामारी का रूप लेता जा रहा है। खानपान और रहन-रहन बिगड़ना इसके पीछे मुख्य कारक है। इसलिए खानपान पर ध्यान रखना होगा और कोशिश करनी होगी कि हर हाल में मोटा अनाज खाएं।...

आयुर्वेद से ठीक करें जॉन्डिस और हेपेटाइटिस-B को
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Apr 2017 09:28 PM
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जॉन्डिस और हेपेटाइटिस -बी धीरे-धीरे महामारी का रूप लेता जा रहा है। खानपान और रहन-रहन बिगड़ना इसके पीछे मुख्य कारक है। इसलिए खानपान पर ध्यान रखना होगा और कोशिश करनी होगी कि हर हाल में मोटा अनाज खाएं। यह कहना है वैद्य डॉ. दीप नारायण चौधरी का। वे कहते हैं कि ज्यादा चिकनाईयुक्त खाना खाने से आंत में चिकनाई आ जाती है। यही सभी बीमारियों की जड़ है। उन्होंने कहा कि गर्मी बढ़ते ही जॉन्डिस और हेपेटाइटिस-बी के मरीज तेजी से बढ़ने लगते हैं। ऐसा जहां-तहां का पानी पीने और खान-पान में लापरवाही बरतने के कारण होता है। इसलिए हमें क्या खाना है, इसके लिए पहले सोचना होगा। बात-विचार भी पेट संबंधी बीमारियों का एक कारण है क्योंकि ज्यादा गुस्सा करने से शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ती है, जो हानिकारक है।

चिकित्सापद्धति की जान है आयुर्वेद

जॉन्डिस पर चर्चा करते हुए श्री चौधरी कहते हैं कि 01 या 01 से कम सिरम बिलरुबिन स्वस्थ शरीर में होता है। जॉन्डिस में यही बिलरुबिन बढ़ता जाता है। आयुर्वेद से उपचार कर 25 से 30 बिलरुबिन तक के मरीज को ठीक किया जा सकता है। 

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हेपेटाइटिस-बी हो तो क्या करें 
यह जॉन्डिस का बड़ा रूप है। जॉन्डिस और हेपेटाइटिस -बी दोनों यदि एक साथ किसी मरीज को हो तो उसे आयुर्वेद से ठीक करने में 04 से 05 महीने का समय लगता है। यदि सिर्फ हेपेटाइटिस-बी है तो यह क्रॉनिकल स्टेज होता है। इस स्थिति में पांच से छह महीने की दवा के बाद हर छह महीने पर एलएफटी चेक कराकर यह जांचना होता है कि लीवर किस हाल में है। यदि लीवर ठीक है तो गजपूर्णा और भृंगराज का सेवन करना चाहिए। यदि कच्चा भृंगराज नहीं मिल रहा तो सूखी अवस्था में या चूर्ण के रूप में बाजार में यह उपलब्ध रहता है वहां से लेकर सेवन कर सकते हैं। 
 
जॉन्डिस और हेपेटाइटिस - बी के लक्षण
बुखार आना, आंख का पीलापन, भूख न लगना, कमजोरी, शरीर में खुजली होना, पैखाने का रंग बदलकर सफेद हो जाना। लगातार गैस व कब्ज रहना 
बचाव 
भृंगराज के एक चम्मच रस का सुबह-शाम सेवन। स्वस्थ लोग भी यदि सेवन करें तो यह फायदेमंद ही होगा। लीवर ठीक रहेगा। 
- गजपूर्णा का साग खाना चाहिए।
- गजपूर्णा का काढ़ा बनाकर पीना भी फायदेमंद है
- भूमि आंवला के रस का सेवन भी कर सकते हैं 
- पानी उबालकर रख लें और उसका सेवन करें 

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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