कमजोर हो रहा है हिमालय, हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में खनन पर लगाई रोक
हाईकोर्ट ने उत्तराखंड की नदियों में हो रहे खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने यह रोक चार माह तक लागू रखने के लिए कहा गया है।...
हाईकोर्ट ने उत्तराखंड की नदियों में हो रहे खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने यह रोक चार माह तक लागू रखने के लिए कहा गया है। इसके अलावा प्रदेश की खनन नीति तय करने के लिए हाईकोर्ट ने हाईपावर कमेटी भी गठित की है। यह कमेटी चार माह के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद खनन को लेकर अगला आदेश जारी किया जाएगा।
बागेश्वर के गरवा सिरमौली भारखंडे में अवैध खनन के खिलाफ नवीन चंद्र पंत और मनोज पंत ने जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में खनन पट्टे की आड़ में अवैध खनन और वन भूमि पर अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था। खनन से गांव की पेयजल योजनाओं और पैदल रास्तों को नुकसान और बाढ़ के खतरे की आशंका जताई गई थी। कोर्ट ने मामले में 17 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था। अदालत ने मंगलवार को इस गांव समेत पूरे प्रदेश में खनन पर रोक लगा दी है।
04 माह तक खनन पर रोक लागू रखने को कहा है हाईकोर्ट ने
02 अफसरों के तबादले पर भी रोक लगाई है हाईकोर्ट ने मामले में
नहीं होगा तबादला
हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदेश सरकार रिपोर्ट पूरी तरह तैयार होने तक कुमाऊं कमिश्नर डी. सेंथिल पांडियन और प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजेंद्र महाजन का तबादला नहीं करे। ऐसा करने के लिए हाईकोर्ट की अनुमति जरूरी होगी। दूसरी ओर, कोर्ट ने कमेटी सचिव यानी कुमाऊं आयुक्त को यह सुविधा दी है कि इस निर्देश के पालन में कोई दिक्कत आने पर वह कोर्ट में प्रार्थनापत्र दे सकते हैं।
50 साल का ब्लूप्रिंट बनाएं
हाईकोर्ट का आदेश है कि हाईपावर कमेटी प्रदेश में खनन नीति को लेकर 50 साल का ब्लूप्रिंट तैयार करे। कमेटी को निम्न बिंदुओं पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है:
-तीन हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर खनन होना चाहिए या नहीं।
-खनन का काम बंद होने से प्रभावित होने वाले लोगों के संबंध में राय।
-सतत विकास के नाम पर हो रहे खनन के हर पहलू पर रिपोर्ट।
-चार माह बाद खनन खोल जा सकता है अथवा नहीं।
सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
खनन पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खनन पर रोक से प्रदेशभर के खनन व्यावसायियों व उससे जुड़े लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा। सरकार मामले में विधिक राय लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी। हालांकि सरकार हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन पर आवश्यक कदम उठा रही है, पर खनन से जुड़े लाखों लोगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
हाईपावर कमेटी
चेयरमैन- वन एवं पर्यावरण सचिव। सदस्य- डीजी वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), डीजी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) व डीजी वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून। नोडल अधिकारी और सचिव- प्रमुख मुख्य वन संरक्षक व कुमाऊं आयुक्त।
बजट दे सरकार
अदालत ने प्रदेश सरकार को हाईपावर कमेटी के लिए देहरादून स्थित सचिवालय में कार्यालय उपलब्ध कराने और 50 लाख रुपये का बजट देने को कहा है। यह बजट कुमाऊं आयुक्त की देखरेख में रिपोर्ट तैयार करने और विशेषज्ञों की राय लेने आदि पर खर्च होगा। कमेटी को चार माह में पहली और पूरी रिपोर्ट के लिए नौ माह का समय दिया गया है।