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16 साल से परिसंपत्तियां क्यों नहीं बांट सके यूपी-उत्तराखंड

हाईकोर्ट ने उत्तराखंड राज्य बनने के 16 वर्ष बाद भी यूपी के साथ परिसंपत्तियों का बंटवारा न होने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दोनों राज्यों को निश्चित समयसीमा तय कर...

16 साल से परिसंपत्तियां क्यों नहीं बांट सके यूपी-उत्तराखंड
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 05 Dec 2016 09:00 PM
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हाईकोर्ट ने उत्तराखंड राज्य बनने के 16 वर्ष बाद भी यूपी के साथ परिसंपत्तियों का बंटवारा न होने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दोनों राज्यों को निश्चित समयसीमा तय कर बंटवारा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिथिलता के कारण उत्तराखंड के लोगों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

देहरादून निवासी सलीम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि शक्तिनगर, ढाकपत्थर, ठकरानी, ढालीपुर, कुल्हाल क्षेत्र की सिंचाई विभाग की परिसंपत्तियों से अतिक्रमण हटाया जाए। याची ने कहा कि उत्तराखंड राज्य पुनर्गठन अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत नहरों और अन्य परिसंपत्तियों का बंटवारा भी किया जाना चाहिए, ताकि उत्तराखंड को इनका स्वामित्व मिल सके। बताया गया कि 16 वर्ष बाद भी इन पर यूपी का स्वामित्व है। कहा कि गंगा मैनेजमेंट बोर्ड न बनाने से गंगा के पानी पर भी अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। यमुना को लेकर भी नीति बनाने की मांग की गई।

याचिका का जवाब देते हुए राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा गया कि अतिक्रमण के संबंध में स्वामित्व संबंधी विवाद सिविल न्यायालय में विचाराधीन है। परिसंपत्तियों के बंटवारे के संबंध में केंद्र सरकार व यूपी से वार्ता हो रही है।मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को तीन माह के भीतर अतिक्रमण चिंहित कर उसे हटाने के निर्देश दिए। कहा कि गंगा प्रबंधन बोर्ड की तर्ज पर यमुना का प्रबंधन भी कर लिया जाए। दोनों बोर्डों का प्रतिनिधित्व उत्तराखंड राज्य करेगा।

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