हत्या और लूट के बाद नेपाल भागे खूंखार अपराधी
तमिलनाडू में महिला की निर्मम हत्या करके उसके घर से जेवरात समेत लाखों का माल लूटकर भागे नेपाली बदमाशों की धरपकड़ के लिए चेन्नई पुलिस कई दिन तक बनबसा की खाक छानने के बाद आखिरकार बुधवार सुबह वापस लौट...
तमिलनाडू में महिला की निर्मम हत्या करके उसके घर से जेवरात समेत लाखों का माल लूटकर भागे नेपाली बदमाशों की धरपकड़ के लिए चेन्नई पुलिस कई दिन तक बनबसा की खाक छानने के बाद आखिरकार बुधवार सुबह वापस लौट गई। ऐसे में अनुमान यह लगाया जा रहा है कि वह शातिर बदमाश बहुत पहले ही बार्डर क्रास कर नेपाल में दाखिल हो गए होंगे। दूसरे देश का मामला होने के चलते पुलिस को अपने कदम पीछे खींचने पड़े।
एक महीना पहले चार बदमाशों ने रैकी के बाद तमिलनाडू स्थित एक घर में उस दिन अकेली बुजुर्ग महिला पर हमला कर दिया था। विरोध करने पर बदमाशों ने धारदार हथियारों से उसकी हत्या कर दी थी। इस वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश उसके घर में रखे करीब ढाई लाख की नकदी और भारी मात्रा में जेवरात लूट ले गए थे। मृतका के परिजनों की तहरीर पर चेन्नई के तेन्यांपट थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। चेन्नई पुलिस ने कुछ ही दिन बाद मुखबिर की मदद से वारदात में शामिल एक बदमाश को वहीं से दबोच लिया था। पूछताछ में उसने नेपाल के डोडी जिला निवासी अन्य साथियों के नाम भी पुलिस को बता दिए थे।
चेन्नई पुलिस इंस्पेक्टर टीआर गिरी के नेतृत्व में सर्विलांस और मैनुअल ढंग से मिले इनपुट के आधार पर कुछ दिन पूर्व बदमाशों की धरपकड़ के लिए बनबसा पहुंच गई थी। इस दौरान पुलिस ने नेपाल सीमा के आसपास आरोपियों को दबोचने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। सूत्रों के मुताबिक फरार बदमाश हार्डकोर क्रिमिनल हैं। चेन्नई पुलिस ने हत्यारोपी नेपाली बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए नेपाल के कंचनपुर जिले के एसपी रामप्रसाद श्रेष्ठा एवं गड्ढा चौकी के एसओ से भी सम्पर्क साधा। बावजूद इसके उन्हें नेपाल पुलिस की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल पाया। मामला दूसरे देश का होने के चलते चेन्नई पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा।
गृह मंत्रालय से लेनी पड़ती है अनुमति
भारत-नेपाल के बीच एक-दूसरे के देश में अपराध कर छुपने वाले अपराधियों को पकड़ने की एक लम्बी प्रक्रिया है। इसके तहत भारत के संबंधित राज्य के माध्यम से भारत सरकार के गृह मंत्रालय को पत्र लिखा जाता है। इसके बाद गृह मंत्रालय नेपाल दूतावास को पत्र लिखता है। नेपाल दूतावास से अपने देश में सूचना दी जाती है। इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लग जाता है। इसी के चलते अपराध कर नेपाल में शरण लेने वाले बदमाश खुद को काफी सेफ समझते हैं।