विद्यार्थी और राजनीति
इस बात का बड़ा भारी शोर सुना जा रहा है कि पढ़ने वाले नौजवान (विद्यार्थी) राजनीतिक या पॉलिटिकल कामों में हिस्सा न ले। पंजाब सरकार की राय बिल्कुल ही न्यारी है। विद्यार्थी से कॉलेज में दाखिल होने से...
इस बात का बड़ा भारी शोर सुना जा रहा है कि पढ़ने वाले नौजवान (विद्यार्थी) राजनीतिक या पॉलिटिकल कामों में हिस्सा न ले। पंजाब सरकार की राय बिल्कुल ही न्यारी है। विद्यार्थी से कॉलेज में दाखिल होने से पहले इस आशय की शर्त पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं कि वे पॉलिटिकल कामों में हिस्सा नहीं लेंगे।... पंजाब को राजनीतिक जीवन में सबसे पिछड़ा हुआ कहा जाता है। इसके क्या कारण हैं?
क्या पंजाब ने बलिदान कम किए हैं? क्या पंजाब ने मुसीबतें कम झेली हैं? फिर क्या कारण है कि हम इस मैदान में सबसे पीछे हैं? इसका कारण स्पष्ट है कि हमारे शिक्षा विभाग के अधिकारी बिल्कुल ही बुद्धू हैं। आज पंजाब कौंसिल की कार्रवाई पढ़कर इस बात का अच्छी तरह पता चलता है कि इसका कारण यह है कि हमारी शिक्षा निकम्मी है और विद्यार्थी-युवा जगत अपने देश की बातों में कोई हिस्सा नहीं लेता। उन्हें इस संबंध में कोई भी ज्ञान नहीं होता। जिन नौजवानों को कल देश की बागडोर हाथ में लेनी है, उन्हें आज अक्ल के अंधे बनाने की कोशिश की जा रही है।
इससे जो परिणाम निकलेगा, वह हमें खुद ही समझ लेना चाहिए। यह हम मानते हैं कि विद्यार्थियों का मुख्य काम पढ़ाई करना है, उन्हें अपना पूरा ध्यान उस ओर लगा देना चाहिए। मगर क्या देश की परिस्थितियों का ज्ञान और उनके सुधार की योग्यता पैदा करना उस शिक्षा में शामिल नहीं? यदि नहीं, तो हम उस शिक्षा को भी निकम्मी समझते हैं, जो सिर्फ क्लर्की करने के लिए हासिल की जाए। ऐसी शिक्षा की जरूरत ही क्या है?''
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