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अपनी अहमियत

एक दिन उन्होंने गौर किया कि उनके जो जानने-पहचानने वाले हैं, वे भी उनके प्रति निरपेक्ष से रहते हैं। वह क्या करते हैं, क्या सोचते हैं, यह दूसरों के लिए मायने नहीं रखता। आखिर वजह क्या थी? दरअसल, हमारी...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 25 Apr 2017 11:02 PM
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एक दिन उन्होंने गौर किया कि उनके जो जानने-पहचानने वाले हैं, वे भी उनके प्रति निरपेक्ष से रहते हैं। वह क्या करते हैं, क्या सोचते हैं, यह दूसरों के लिए मायने नहीं रखता। आखिर वजह क्या थी? दरअसल, हमारी जन्मजात प्रवृत्ति है कि लोगों के बीच हम अहमियत चाहते हैं। घर से लेकर बाहर तक हम सम्मानित भूमिका चाहते हैं, लेकिन इसके लिए वह नहीं करते, जो अनिवार्य है। जेम्स ई एमॉस की एक किताब है- थियोडोर रूजवेल्ट, हीरो टु हिज वैलेट। यह किताब वैसे अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट के बारे में है, पर इसमें लोकप्रियता का राज छिपा है। किताब कहती है, हर मामूली, गैर-मामूली समझे जाने वाले को सम्मान देते जाएं। इससे आपको प्यार करने वाले ढेरों लोग मुफ्त में मिल जाएंगे। एमॉस बताते हैं कि रूजवेल्ट जहां होते, उनके आस-पास ओह एनी, ओह जेम्स जैसे दोस्ताना शब्द गूंजते रहते। वह अपने कुक को भी नाम से जानते थे व माली को भी। उन सबकी जरूरतें भी उन्हें पता होती थीं। लोकप्रियता को लेकर ऑस्ट्रिया के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड एडलर ने एक खूबसूरत किताब लिखी है- ह्वाट लाइफ शुड मीन टु यू।  वह लिखते हैं कि असफल व्यक्ति दूसरों में रुचि नहीं रखने वाले होते हैं। अगर आप में दूसरों के लिए रुचि नहीं है, तो आपके जीवन में ज्यादा कठिनाइयां आएंगी और आप दूसरों का नुकसान भी सबसे अधिक करेंगे। उनकी बातें गौर करने लायक हैं। जैसे ही हम दूसरों में रुचि लेना शुरू करते हैं, वातावरण हमारे अनुकूल होता जाता है। हम लोकप्रिय बनते हैं और हमारी राह आसान होती जाती है। यकीनन, दूसरों के लिए अपनी अहमियत बनानी है, तो सबसे पहले दूसरों की अहमियत समझें।

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