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सोच और सेहत

उन्होंने सकारात्मक सोच की अद्भुत शक्ति को जान लिया था। वह पिछले पांच वर्षों से किडनी की बीमारी और हृदय रोग से पीडि़त थे। अचानक एक दिन उन्होंने अपनी सोच बदली और अब अपने स्वास्थ्य के प्रति वह...

सोच और सेहत
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 10 Oct 2016 10:28 PM
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उन्होंने सकारात्मक सोच की अद्भुत शक्ति को जान लिया था। वह पिछले पांच वर्षों से किडनी की बीमारी और हृदय रोग से पीडि़त थे। अचानक एक दिन उन्होंने अपनी सोच बदली और अब अपने स्वास्थ्य के प्रति वह स्वास्थ्यवर्द्धक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उत्साह का जीवन जी रहे हैं। सोच हमारे स्वभाव को ही नहीं, हमारी सेहत को भी बनाती-बिगाड़ती है। 

अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक व मेडिसिन विशेषज्ञ जॉर्ज डब्ल्यू क्रेन की राय है, ‘आधुनिक चिकित्सा पद्धति के लंबे अनुभव के आधार पर यह एहसास होने लगा है कि सकारात्मक सोच का शरीर के अंगों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, जबकि नकारात्मक सोच शरीर के आंतरिक अंगों और स्वास्थ्यवर्द्धक हामार्ेन्स के सुचारु कार्य में अवरोध उत्पन्न करती है।’ 

विन्सेंट पील एक प्रसिद्ध मनोविश्लेषक हैं। वह भी कहते हैं कि ‘दवाएं दिमाग और ग्रंथियों को प्रभावित करती हैं, लेकिन निरंतर सकारात्मक सोच धारण करने से शरीर को निरोग रखने वाले हामार्ेन्स का उत्सर्जन होता है और आंतरिक अंग पुष्ट होने लगते हैं।’कैंसर से जंग जीतने वाले क्रिकेटर युवराज सिंह मानते हैं कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और जिजीविषा के फलस्वरूप ही वह इस घातक रोग को शिकस्त देने में कामयाब हो सके। 

‘एकेडमिक ऑफ साइकोसोमेटिक मेडिसिन’ के पूर्व प्रेसिडेंट अल्फ्रेड जे कैंटर का कहना है कि ‘सकारात्मक शब्दों का सजगता से इस्तेमाल करने से ही स्वास्थ्य बेहतर बनता है।’ उनकी राय में, ‘मैं आज बीमार नहीं पड़ूंगा, यह एक अर्द्ध-सकारात्मक कथन है। इसकी बजाय सजगता से यह वाक्य दोहराएं कि आज मैं बेहतर रहूंगा, मेरा संपूर्ण अस्तित्व स्वास्थ्यवर्द्धक है। यह पूर्ण सकारात्मक है। इसलिए ज्यादा कारगर है।’ 

सकारात्मक वाक्यों के निरंतर प्रयोग से शारीरिक और मानसिक स्थिति को सेहतमंद रखा जा सकता है। 

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