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हिंदी से यारी

हाय हिंदी, तुम्हें हिंदी पखवाड़े की मुबारकबाद। हिंदी का एक नन्हा तालिबे-इल्म होने के नाते मैं नहीं चाहता कि कोई दिन तुम्हारे नाम से मुकर्रर किया जाए, क्योंकि दिन बनाकर चीजों को तब याद किया जाता है,...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 22 Sep 2015 09:08 PM
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हाय हिंदी, तुम्हें हिंदी पखवाड़े की मुबारकबाद। हिंदी का एक नन्हा तालिबे-इल्म होने के नाते मैं नहीं चाहता कि कोई दिन तुम्हारे नाम से मुकर्रर किया जाए, क्योंकि दिन बनाकर चीजों को तब याद किया जाता है, जब या तो उसे बिसूरने का डर हो या इससे बाजार को फायदा हो, इसीलिए शायद इस दुनिया में कोई 'इंग्लिश डे' नहीं होता। हिंदी कैसे मजबूत होगी? हिंदी दिवस के रिवाजी आयोजनों में यह सवाल भी रिवाज की तरह उठता है और कुछ दलीलों-तालियों के बाद अगले साल तक ठंडे बस्ते में चला जाता है। 2015 का हिंदी दिवस #हिंदी _में _बोलो  को ट्विटर ट्रेंड बनाने में सफल रहा।

सही आग्रह है। हिंदी में बोलना ही चाहिए, लेकिन वह हिंदी कैसी होनी चाहिए और उसकी समृद्धि किस बात में है, इस पर भी अपनी सोच का एक हिस्सा खर्च किया जाए।... हम इस भाषा से यारी कायम करना चाहते हैं। यारी, जो बेतकल्लुफ होती है। यार वह होता है, जिसे टीप भी मार दी और चूम भी लिया।


गुस्सा आया, तो गाली भी बक दी। फिर भी, हर बार यार की जानिब लौटने का रास्ता खुला रहता है। हमारा और हिंदी का रिश्ता जिंदा होना चाहिए। इसका ताल्लुक उम्र से नहीं, उसके खुले दायरे से है, कि एक खुला पालना हो जैसे, जिसमें अलग-अलग बोली-संस्कृति के लोग अपने-अपने नए-पुराने, कच्चे-पक्के शब्द छोड़ जाते हों और हिंदी एक उदार मां की तरह उन्हें गोद लेती जाती हो। यह सरापा हुस्नो-जमाल हिंदी का है और ये सुखन का कमाल भी हिंदी का है। और इस दिशा में जिनने भी पहल की, उनका शुक्रिया।
 आईचौक.इन वेब पोर्टल में कुलदीप मिश्र

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