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आजादी तो आधी ही है

आजकल लोगों को अपनी निजता और स्वतंत्रता का बहुत ख्याल होता है। छोटे-छोटे बच्चे भी अपना अलग से कमरा और अपनी स्पेस चाहते हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता का भी बहुत डंका पीटा जाता है। लेकिन गहराई में जाकर...

आजादी तो आधी ही है
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 07 Jun 2015 09:02 PM
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आजकल लोगों को अपनी निजता और स्वतंत्रता का बहुत ख्याल होता है। छोटे-छोटे बच्चे भी अपना अलग से कमरा और अपनी स्पेस चाहते हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता का भी बहुत डंका पीटा जाता है। लेकिन गहराई में जाकर देखें, तो आज के ग्लोबल विलेज के वातावरण में विश्व इतना संकरा बन गया है कि हर राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर किसी न किसी बात के लिए निर्भर रहता है। किसी के पास चीनी ज्यादा है, तो किसी के पास तेल, किसी के पास विशाल जमीन है, तो किसी के पास मैन पावर। पूरी तरह से स्वतंत्र कोई भी नहीं रह सकता, क्योंकि यह धरती एक ही भूगोल है। ओशो कहते हैं- न हम स्वतंत्र हैं, न परतंत्र हैं, हम परस्पर निर्भर हैं। वह एक कहानी बताते हैं पैगंबर मोहम्मद की। पैगंबर एक बार उनके शिष्य हजरत अली के साथ जा रहे थे।

हजरत अली ने पूछा कि मैं बड़ा परेशान हूं कि आदमी स्वतंत्र है कि परतंत्र? पैगंबर ने कहा कि तू कोई भी एक पैर  ऊपर उठा ले। उसने बायां पैर ऊपर उठा लिया। तब पैगंबर ने कहा कि अब  तू दूसरा भी ऊपर उठा ले। उसने कहा कि यह बहुत मुश्किल है। पैगंबर ने कहा- लेकिन पहले मुश्किल नहीं था, अगर तू चाहता, तो दायां भी उठा सकता था। अब मुश्किल हो गया, क्योंकि बायां तूने उठा लिया है। मुश्किल इसलिए हो गया कि बायां तू उठाए हुए है। बाएं को नीचे रख दे, अभी दायां ऊपर उठ जाएगा। हजरत अली ने कहा- मैं समझा नहीं। इस पर पैगंबर मोहम्मद ने उन्हें समझाया- मैं तुझे यह कह रहा हूं कि आदमी आधा परतंत्र है और आधा स्वतंत्र है। वह एक पैर उठा लेता है और फिर दूसरा पैर बंध जाता है। क्योंकि जब भी हम एक चीज चुनते हैं, तब और चुनाव खत्म हो जाते हैं। मेरी स्वतंत्रता तभी तक है, जब तक मैं कोई चुनाव नहीं करता। लेकिन चुनाव सतत करना पड़ता है। इसी का नाम  जिंदगी है।

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