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सतत विकास का एक जरूरी आधार

हाल के वर्षों में हमने काफी प्रगति की है। 1990-91 से 2012-13 तक दुनिया में मातृ मृत्यु दर में जहां 47 प्रतिशत की कमी आई है, वहीं उसी अवधि में भारत ने 65 प्रतिशत कमी करने में सफलता हासिल की है। देश...

सतत विकास का एक जरूरी आधार
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 08 Apr 2016 09:49 PM
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हाल के वर्षों में हमने काफी प्रगति की है। 1990-91 से 2012-13 तक दुनिया में मातृ मृत्यु दर में जहां 47 प्रतिशत की कमी आई है, वहीं उसी अवधि में भारत ने 65 प्रतिशत कमी करने में सफलता हासिल की है। देश में 45 प्रतिशत मातृ मृत्यु 15 से 45 वर्ष के आयु-वर्ग में होती हैं। देश में होने वाले कुल प्रजनन का 52 प्रतिशत भी इसी आयु-वर्ग में होता है।

इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था में स्वस्थ रखने व सुरक्षित प्रसव की सुविधा देने के लिए हम और बहुत कुछ कर सकते हैं। इस प्रयास में परिवार नियोजन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 1952 में भारत ने दुनिया का पहला राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया था। देश में तबसे महिलाओं के स्वास्थ्य को सुधारने और प्रजनन दर कम करने का कार्यक्रम लगातार चल रहा है।

परिवार नियोजन का लाभ महिला की सेहत, उसकी खुशहाली और संपन्नता तक ही सीमित नहीं रहता। कोई भी दंपति जब परिवार छोटा रखने का निर्णय लेता है, तो उसके पास अपने परिवार को सभी साधन और सुविधाएं देने की संभावना अधिक होती है। उस समय वह न सिर्फ अपने लिए, बल्कि पूरे देश के लिए अधिक संपन्न भविष्य की रचना कर रहा होता है। इसीलिए परिवार नियोजन के अच्छे साधन और सेवाएं सबके लिए उपलब्ध कराना, पूरे देश में महिलाओं, बच्चों, परिवारों व समुदायों की सेहत सुधारने और खुशहाली बढ़ाने के मिशन का आधार है।

इसके लिए यह भी जरूरी है कि अधिक से अधिक महिलाओं को सशक्त किया जाए, ताकि वे अपनी सेहत और अपने भविष्य के बारे में अधिक जानकारी के साथ विकल्प चुन सकें। चूंकि इस पहल के केंद्र में महिलाएं हैं, इसलिए जरूरी है कि समुदाय की भागीदारी को मजबूत किया जाए। देश की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए महिलाओं तक परिवार नियोजन की सुविधाएं पहंुचाने के लिए समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

जब महिलाओं को परिवार नियोजन के विभिन्न तरह के साधन सुलभ होते हैं, तो यह संभावना बढ़ जाती है कि वे अपने लिए उपयुक्त साधन चुन लेंगी। ऐसे साधन उसे दूसरी बार गर्भधारण में अंतर रखने का प्रभावी विकल्प देते हैं। जरूरी यह भी है कि इस कार्यक्रम को हर परिवार तक पहंुचाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अच्छी तरह प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे दंपतियों को उनकी जरूरत के अनुसार सबसे अच्छी सलाह दे सकें। देश के 23.7 करोड़ दंपतियों तक परिवार नियोजन सेवाएं पहंुचाने का जो लक्ष्य तय किया गया है, उसकी सफलता के लिए यह बहुत जरूरी है। परिवार नियोजन का उद्देश्य सिर्फ छोटा और स्वस्थ परिवार रखना ही नहीं है। यह कार्यक्रम देश के आर्थिक विकास के लिए भी बहुत जरूरी है। महिलाओं और परिवारों के लिए संपन्नता के सभी द्वार इसी से खुलेंगे।
     (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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