कप्तान धौनी के लिए जीत की ऑक्सीजन
धौनी में वे तमाम खूबियां एक साथ वापस लौटी हैं, जिनके लिए वह जाने जाते थे। बात सिर्फ इतनी नहीं है कि उनकी कप्तानी में टीम ने एशिया कप पर कब्जा कर लिया है, बल्कि 2011 विश्व कप के बाद एक बार फिर...
धौनी में वे तमाम खूबियां एक साथ वापस लौटी हैं, जिनके लिए वह जाने जाते थे। बात सिर्फ इतनी नहीं है कि उनकी कप्तानी में टीम ने एशिया कप पर कब्जा कर लिया है, बल्कि 2011 विश्व कप के बाद एक बार फिर धौनी में वे सभी काबिलियतें एक साथ दिखाई दीं, जिनके लिए उन्हें दुनिया के सबसे कामयाब कप्तानों में शुमार किया जाता है। यह भी माना जा रहा है कि उनका वह ‘एक्स फैक्टर’ भी वापस लौटा है, जिसके चलते उन्हें ‘कैप्टन कूल’ कहा जाता था। इस बड़े बदलाव का सीधा रिश्ता उस आत्मविश्वास से है, जो धौनी में लंबे समय बाद दिखा। एशिया कप में धौनी बतौर बल्लेबाज, बतौर कप्तान और बतौर रणनीतिकार पूरे आत्मविश्वास में दिखाई दिए। अच्छी और बड़ी बात यह है कि यह सब कुछ टी-20 विश्व कप के ठीक पहले हुआ है, जो पूरी टीम के लिए सकारात्मक है।
पिछले करीब दो-तीन साल धौनी के लिए अच्छे नहीं रहे। मैदान के भीतर और बाहर कई तरह के विवाद हुए। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग में उनकी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स की भूमिका, उनकी टीम का टूर्नामेंट से बाहर होना, उनकी कप्तानी में मिली हार और टेस्ट क्रिकेट को अचानक अलविदा कह देने के फैसले के चलते तमाम उंगलियां उन पर उठती रहीं। विराट कोहली को टेस्ट टीम की कमान दिए जाने के बाद तमाम दिग्गज धौनी से वनडे टीम की कप्तानी भी ले लिए जाने की वकालत करने लगे। इस सारी उठापटक के बीच धौनी के चेहरे पर मुस्कान कायम रही।
बड़े से बड़े विवाद और बड़ी से बड़ी हार के बाद भी वह मीडिया के सामने उसी बेफिक्री के साथ आते रहे, जैसे वह पहले आते थे। और धीरे-धीरे सब बदल गया। 37 साल के आशीष नेहरा की उन्होंने टीम में वापसी कराई, तो नेहरा टूर्नामेंट में छाए रहे। हार्दिक पांड्या की कामयाबी का जिक्र भी जरूरी है। बुमराह की गेंदबाजी की तारीफ वकार यूनिस जैसे दिग्गज गेंदबाज कर रहे हैं। एशिया कप की जीत में गेंदबाजों का बहुत बड़ा रोल है। जिस गेंदबाजी को हमेशा से टीम की कमजोर कड़ी के तौर पर देखा जाता था, उसी ने पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी दो सबसे बड़ी टीमों को 100 रनों के भीतर समेट दिया। इस लाइन अप को तैयार करने में धौनी का रोल है।
एशिया कप में बतौर बल्लेबाज भी धौनी का पुराना रंग दिखाई दिया। उनके बल्ले और गेंद में वह ‘कनेक्ट’ दिखाई दिया, जो पिछले कुछ समय से गायब था। इसीलिए धौनी ने पूरे टूर्नामेंट में छोटी-छोटी उपयोगी पारियां खेलीं। फाइनल में वह बल्लेबाजी क्रम में ऊपर भी आ गए। बड़े मुकाबले में बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आने का सीधा मतलब मैच के बाद हीरो या विलेन बनना होता है। धौनी ने जोखिम उठाया और अपना दम दिखा दिया। छोटे फॉर्मेट में भारत दुनिया की नंबर एक टीम है। वह लगातार अच्छा खेल रही है और इस सिलसिले को बनाए रखना ही धौनी की सबसे बड़ी जीत होगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)