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हमारे भीतर का हीरो

इस जिंदगी की कल्पना भी नहीं की थी उन्होंने। उस हादसे ने उन्हें तोड़ दिया था। आगे की जिंदगी पर सोचने में वह दिक्कत महसूस कर रहे थे। 'हादसे कभी-कभी हमारे भीतर के हीरो को बाहर ले आते हैं।' यह...

हमारे भीतर का हीरो
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 22 Apr 2016 09:47 PM
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इस जिंदगी की कल्पना भी नहीं की थी उन्होंने। उस हादसे ने उन्हें तोड़ दिया था। आगे की जिंदगी पर सोचने में वह दिक्कत महसूस कर रहे थे।
'हादसे कभी-कभी हमारे भीतर के हीरो को बाहर ले आते हैं।' यह मानना है डॉ. एमी मॉरिन का। वह मशहूर मेंटल स्ट्रेंथ एक्सपर्ट हैं। उनकी बेहद चर्चित किताब है, 13 थिंग्स मैंटली स्ट्रॉन्ग पीपुल डॉन्ट डू: टेक     बैक योर पावर, ऐंब्रेस चेंज, फेस योर फियर्स ऐंड टे्रन योर ब्रेन फॉर हैप्पीनेस ऐंड सक्सेस।

हमारी जिंदगी ठीक-ठाक चल रही होती है। अचानक उस पर रोक लग जाती है। हमें उसका रुकना किसी हादसे से कम नहीं लगता। वह वक्त होता है, जब हमें समझ में नहीं आता कि करना क्या है? हमें महसूस होता है कि जिंदगी की दिशा बदल गई है। या हम कहीं किसी घने जंगल में भटक गए हैं। और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। एक वक्त हमें सचमुच कोई रास्ता नजर नहीं आता। हम एक बने बनाए रास्ते के आदी होते हैं।

उससे जरा भी हटना हमें अच्छा नहीं लगता। हमारे कदम एक रास्ते पर पड़ते चले जाते हैं। वह रास्ता जरा सा रुख मोड़ता है, तो हमें दिक्कत होने लगती है।

दरअसल, जब हमें रास्ता नहीं सूझता, तो हमें अलग तरह से कुछ करने की जरूरत पड़ती है। हमें ठहर कर सोचना होता है। अलग ढंग से सोचना पड़ता है। यह तय है कि उस रास्ते को हम पहले से बने-बनाए किसी ढर्रे से नहीं पा सकते। जब अंधेरे में हमें कुछ नजर नहीं आता, तो हम क्या करते हैं? हम थोड़ी देर ठहरते हैं।

धीरे-धीरे टटोलते हुए हम कहीं पहंुचने लगते हैं। वे बहुत ही छोटे कदम होते हैं, लेकिन वे सभी कदम बेहद अहम होते हैं। वह किसी फंसी हुई जगह से निकलने की पहली और सबसे बड़ी शर्त होते हैं। तब उस संकट की घड़ी में हमारे भीतर बैठा हुआ हीरो बाहर आने को कसमसाने लगता है।
राजीव कटारा

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