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जलवायु परिवर्तन को रोकने की नई सोच

जलवायु परिवर्तन से जंग में पेड़ हमारे साथी हो सकते हैं। वे कार्बन डाई-ऑक्साइड को सोखते हैं और ग्रीन हाउस गैसों को कम करते हैं। लेकिन समस्या यह है कि हमें यह काम तुरंत करना है। अभी जो पेड़ हैं, वे उस...

जलवायु परिवर्तन को रोकने की नई सोच
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 14 Jan 2016 08:55 PM
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जलवायु परिवर्तन से जंग में पेड़ हमारे साथी हो सकते हैं। वे कार्बन डाई-ऑक्साइड को सोखते हैं और ग्रीन हाउस गैसों को कम करते हैं। लेकिन समस्या यह है कि हमें यह काम तुरंत करना है। अभी जो पेड़ हैं, वे उस तमाम कार्बन डाई-ऑक्साइड को नहीं सोख सकते, जो हम पैदा कर रहे हैं।

एरिजोना में 'सेंटर फॉर निगेटिव कार्बन एमिशन' के क्रिस्टोफर जोस्प के अनुसार, यह काम तभी हो सकता है, जब हम धरती के हर इंच पर एक पेड़ लगा दें। लेकिन अगर पेड़ों में सुपर पावर आ जाए तो...? मशीनी क्षमताओं से लैस कृत्रिम पेड़ यह काम कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कार्बन उत्सर्जन को एक हद से ज्यादा कम करना मानव सभ्यता के लिए अब संभव नहीं है। हमारे लिए बेहतर यही है कि हम किसी तरह कार्बन को सोखें और हो सके, तो उसे ईंधन जैसी जरूरी चीज में बदल दें।
पांच साल पहले बोस्टन के दो डिजाइनरों ने शहरों के लिए कृत्रिम पेड़ विकसित किए थे। वह पेड़ छाया तो देता ही था, कार्बन डाई-ऑक्साइड भी सोखता था।

इसके पीछे की सोच यह थी कि ये पेड़ वहां लगाए जाएंगे, जहां असली पेड़ लगाने के लिए मिट्टी की गहरी परत न हो। लेकिन इसके आगे कुछ नहीं हुआ। कार्बन उत्सर्जन को कम करना एक ऐसा लक्ष्य है, जिसके लिए स्थानीय निकायों के पास कोई बजट नहीं होता। अभी यह पेड़ काफी महंगा है- तकरीबन साढ़े तीन लाख डॉलर का एक पेड़। लेकिन उम्मीद है कि एक-दो साल में इसकी तकनीक काफी सस्ती हो जाएगी। बताया यह भी जा रहा है कि ये कृत्रिम पेड़ प्राकृतिक पेड़ों के मुकाबले हजार गुना असरदार हैं। अभी इस तकनीक का परीक्षण एक रेगिस्तानी इलाके में चल रहा है, ताकि इसे ऐसे गरम और सूखे इलाके के हिसाब से ढाला जा सके, जहां पर कम ऊर्जा उपलब्ध हो।

हवा से कार्बन कम करने की जरूरत इन दिनों ज्यादा महसूस की जा रही है। इसका एक तरीका यह है कि चिमनियों से निकलने वाले धुएं को सीधे वहीं पर सोख लिया जाए। दूसरा तरीका वह है, जो बोस्टन के प्रयोग में सोचा गया था कि हवा से कार्बन को सोखा जाए। दावा यह किया जा रहा है कि एक वर्ग किलोमीटर में कृत्रिम पेड़ों का जंगल एक साल में 40 लाख टन कार्बन को सोख सकता है। अमेरिका और कनाडा में अगले दो साल में विद्युत संयंत्रों में कार्बन को सोखने की सात बड़ी परियोजनाएं लगने वाली हैं। लेकिन ये काफी नहीं हैं।

हमें वर्ष 2040 तक ऐसी व्यवस्था करनी है कि चार अरब टन कार्बन सोखने को इंतजाम हो जाए। लेकिन इस पर शोध के लिए भारी निवेश की जरूरत है। कहा जा रहा है कि यह काम तभी हो सकता है, जब माइक ब्लूमबर्ग, बिल गेट्स और मार्क जकरबर्ग जैसे लोग इस परियोजना में निवेश करें। बिल गेट्स ने तो ऐसी एक परियोजना में निवेश भी किया है।
साभार- द गार्जियन
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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